प्रस्तावनाचिकित्सकों को भगवान के समक्ष माना जाता है। इसका कारण यह है कि वे लोगों को नया जीवन देते हैं। वे विभिन्न चिकित्सा परेशानियों को दूर और उपचार करने के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों से लैस होते हैं। वे अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की मदद से उपचार करते हैं। मरीजों की देखभाल करने के लिए उन्हें अस्पताल और नर्सिंग होम में तरह-तरह की सुविधाएँ मुहैया कराई जाती हैं।इन दिनों डॉक्टर कितने जिम्मेदार हैं?लोग अपने स्वास्थ्य को अच्छी तरह से सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टरों पर भरोसा करते हैं। उनका मानना है कि जब तक उनके पास डॉक्टर है तो उन्हें किसी भी प्रकार की वैद्यकीय समस्या की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। डॉक्टर सुरक्षा का माहौल बनाते हैं। हालांकि कुछ ऐसी घटनाओं, जो पिछले कुछ दशकों से प्रचलित हैं, ने इस महान पेशे में लोगों के विश्वास को हिला कर रख दिया है।अब सवाल यह है कि इन दिनों डॉक्टर खुद कितने ज़िम्मेदार हैं? अब लोग इन दिनों डॉक्टरों को गलत समझने लगते हैं और उनके पास ऐसा करने के सभी कारण भी हैं तो हम पूरी तरह इस बात को झुठला भी नहीं सकते। प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अलग है। कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उनमें से बहुत से लोग जिम्मेदारी से काम करते हैं और इस पेशे को पैसा कमाने के एक साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं करते।मेडिकल व्यवसाय और डॉक्टरों के स्तर में गिरावटतकनीकी दृष्टि से चिकित्सा व्यवसाय ने नए चिकित्सा उपकरणों के विकास और विभिन्न चिकित्सा संबंधी मुद्दों से निपटने के बेहतर तरीकों की प्रगति के साथ काफी उन्नति की है परन्तु नैतिक रूप से इसको बहुत अपमानित होना पड़ा है। जब-जब चिकित्सा प्रणाली की बात आती है तब-तब भारत में पहले से ही कई समस्याओं का मुद्दा उठता है (भले ही यहाँ दुनिया भर के कुछ अच्छे डॉक्टर हैं) और यह भ्रष्टाचार जैसी स्थिति को बढ़ावा देने में भी सबसे ऊपर है।भारत के नागरिकों के पास कोई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा प्रणाली नहीं है और निजी क्षेत्र हमारे देश की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर हावी है। हालांकि सरकार ने कई सरकारी अस्पतालों और नर्सिंग होम की स्थापना की है पर उनकी संरचना और समग्र स्थिति खराब है और इसलिए ज्यादातर लोग वहां जाना पसंद नहीं करते हैं। भारत सरकार स्वास्थ्य देखभाल पर बहुत कम खर्च करती है। यह भ्रष्टाचार का मूल कारण है। लोग बेहतर सुविधा और सेवाएं पाने के लिए निजी क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। हालांकि इस क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य मरीजों के इलाज के बजाए पैसा कमाना है।यह सामान्य बात है कि मरीजों को सभी तरह के रक्त परीक्षण, एक्स-रे और अन्य परीक्षण कराने का सुझाव दिया जाता है भले ही वे साधारण बुखार या खाँसी के लिए उनसे संपर्क करते हो। चिकित्सक स्वास्थ्य ठीक करने और विभिन्न चिकित्सा स्थितियों के बारे में ज्ञान की कमी के कारण लोगों की जरूरतों का फायदा उठाते हैं। यहां तक कि अगर लोग इन परीक्षणों का खर्चा वहन नहीं कर सकते तब भी वे इन परीक्षणों को कराते हैं। कई दवाइयां और स्वास्थ्य संबंधी टॉनिकों को निर्धारित करना भी काफी आम हो गया है। ये सिर्फ पैसे कमाने का एक तरीका है। इनमें से कुछ का रोगियों पर भी साइड इफेक्ट होता है लेकिन इन दिनों डॉक्टरों को इसकी चिंता नहीं होती है। रोगियों की समस्याएं बस डॉक्टरों के लिए पैसे कमाने का जरिया है।ऐसे मामले देखने को मिलते हैं जिनमें लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और आवश्यक अवधि से अधिक समय तक रहने को कहा जाता है ताकि अस्पताल उनसे लाभ कमा सके। लोगों को उनकी बीमारियों के बारे में गलत तरीके से बताया जाता है ताकि उनसे पैसे निकाले जाएं। लोगों की सेवा करने बजाए आजकल मेडिकल व्यवसाय पैसे कमाने का जरिया बन गया है। इसके अलावा अंग तस्करी जैसी ख़राब प्रथाओं ने लोगों के बीच असुरक्षा को जन्म दिया है।निष्कर्षदेश में चिकित्सा प्रणाली की स्थिति को देखना बहुत दुखदाई है। सरकार को इस स्थिति को बेहतर बनाने के लिए पहल करनी चाहिए। चिकित्सकों को जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए और इस पेशे की गरिमा बनाई रखनी चाहिए।