जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Hindi Essay Writing)

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जलवायु परिवर्तन पर निबंध


जैसा कि नाम से स्पष्ट है पृथ्वी पर जलवायु की परिस्थितियों में बदलाव होने को जलवायु परिवर्तन कहते हैं। यूं तो मौसम में अक्सर बदलाव होते रहते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन केवल तभी घटित होता है जब ये बदलाव पिछले कुछ दशकों से लेकर सदियों तक कायम रहें। कई ऐसे कारक हैं जो जलवायु में बदलाव लाते हैं। यहां इन कारकों पर विस्तार से चर्चा की जा रही है:जलवायु परिवर्तन के विभिन्न कारणविभिन्न बाह्य एवं आंतरिक तंत्रों में बदलाव की वजह से जलवायु परिवर्तन होता है। आइए इनके बारे में में हम विस्तार से जानें:बाहर से दबाव डालने वाले वाले तंत्र ज्वालामुखी विस्फोटवे ज्वालामुखीय विस्फोट, जो पृथ्वि के स्ट्रैटोस्फियर में 100,000 टन से भी अधिक SO2 को उत्पन्न करते हैं, पृथ्वी के जलवायु को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं। ये विस्फोट पृथ्वि के वायुमंडल को ठंडा करते रहते हैं क्योंकि इनसे निकलने वाली यह गैस पृथ्वी की सतह पर सौर विकिरण के संचरण में बाधा डालते हैं। सौर ऊर्जा का उत्पादनजिस दर पर पृथ्वी को सूर्य से ऊर्जा प्राप्त होती है एवं वह दर जिससे यह ऊर्जा वापिस जलवायु में उत्सर्जित होती है वह पृथ्वी पर जलवायु संतुलन एवं तापमान को निर्धारित करती है। सौर ऊर्जा के उत्पादन में किसी भी प्रकार का परिवर्तन इस प्रकार वैश्विक जलवायु को प्रभावित करता है। प्लेट टेक्टोनिक्सटेक्टोनिक प्लेटों की गति लाखों वर्षों की अवधि में जमीन और महासागरों को फिर से संगठित करके नई स्थलाकृति तैयार करती है। यह गतिविधि वैश्विक स्तर पर जलवायु की परिस्थितियों को प्रभावित करता है। पृथ्वी की कक्षा में बदलावपृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन होने से सूर्य के प्रकाश के मौसमी वितरण, जिससे सतह पर पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा प्रभावित होती है, में परिवर्तन होता है। कक्षीय परिवर्तन तीन प्रकार के होते हैं इनमें पृथ्वी की विकेंद्रता में परिवर्तन, पृथ्वी के घूर्णन के अक्ष के झुकाव कोण में परिवर्तन और पृथ्वी की धुरी की विकेंद्रता इत्यादि शामिल हैं। इनकी वजह से मिल्नकोविच चक्रों का निर्माण होता है जो जलवायु पर बहुत बड़ा प्रभाव डालते हैं। मानवीय गतिविधियांजीवाश्म ईंधनों के दहन की वजह से उत्पन्न CO2, वाहनों का प्रदूषण, वनों की कटाई, पशु कृषि और भूमि का उपयोग आदि कुछ ऐसी मानवीय गतिविधियां हैं जो जलवायु में परिवर्तन ला रही हैं।आंतरिक बलों के तंत्र का प्रभाव जीवनकार्बन उत्सर्जन और पानी के चक्र में नकारात्मक बदलाव लाने में जीवन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका असर जलवायु परिवर्तन पर भी पड़ता है। यह कई अन्य नकारात्मक प्रभाव प्रदान करने के साथ ही, बादलों का निर्माण, वाष्पीकरण, एवं जलवायुवीय परिस्थितियों के निर्माण पर भी असर डालता है। महासागर-वायुमंडलीय परिवर्तनशीलतावातावरण एवं महासागर एक साथ मिलकर आंतरिक जलवायु में परिवर्तन लाते हैं। ये परिवर्तन कुछ वर्षों से लेकर कुछ दशकों तक रह सकते हैं और वैश्विक सतह के तापमान को विपरीत रूप से प्रभावित कर सकते हैं।जलवायु परिवर्तन के प्रभावजलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यहां इन प्रभावों का वर्णन किया जा रहा है: वनों पर प्रभाववन पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित कर लेते हैं। हालांकि, पेड़ों की कई प्रजातियां तो वातावरण के लगातार बदलते माहौल का सामना करने में असमर्थ होने की वजह से विलुप्त हो गए हैं। वृक्षों और पौधों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के कारण जैव विविधता के स्तर में कमी आई है जो पर्यावरण के लिए बुरा संकेत है। ध्रुवीय क्षेत्रों पर प्रभावहमारे ग्रह के उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव इसके जलवायु को विनियमित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं और बदलते जलवायु परिस्थितियों का बुरा प्रभाव इन पर भी हो रहा है। यदि ये परिवर्तन इसी तरह से जारी रहे, तो यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में ध्रुवीय क्षेत्रों में जीवन पूरी तरह से विलुप्त हो सकता है। जल पर पड़ने वाले प्रभावजलवायु परिवर्तन ने दुनिया भर में जल प्रणालियों के लिए कुछ गंभीर परिस्थितियों को जन्म दिया है। बदलते मौसम की स्थिति के कारण वर्षा के स्वरूप में पूरे विश्व में परिवर्तन हो रहा है और इस वजह से धरती के विभिन्न भागों में बाढ़ या सूखे की परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं। तापमान में वृद्धि के कारण हिमनदों का पिघलना एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। वन्य जीवन पर प्रभावबाघ, अफ्रीकी हाथियों, एशियाई गैंडों, एडली पेंगुइन और ध्रुवीय भालू सहित विभिन्न जंगली जानवरों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है और इन प्रजातियों में से अधिकांश विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं, क्योंकि वे बदलते मौसम का सामना नहीं कर पा रहे हैं।निष्कर्षजलवायु में होने वाले बदलावों के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पिछले कुछ दशकों के दौरान मानवीय गतिविधियों ने इस बदलाव में तेजी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और धरती पर स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए, धरती पर मानवीय गतिविधियों द्वारा होने वाले वाले प्रभावों को नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है।

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