NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 कंचा

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NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 कंचा

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 कंचा is part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 कंचा.

BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 7
SubjectHindi
ChapterChapter 12
Chapter Nameकंचा
Number of Questions Solved21
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 कंचा

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

कहानी से
प्रश्न 1.
कंचे जब ज़ोर से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है?
उत्तर-
कंचे जब ज़ार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब वह जार और कंचों के अलावे कुछ नहीं सोचता है। उसे कल्पना की दुनिया में लगता है कि जैसे कंचों का ज़ार बड़ा होकर आसमान-सा बड़ा हो गया और वह उसके भीतर समा गया। वह अकेला ही कंचे चारों ओर बिखेरता हुआ मज़े से खेल रहा था। आँवले सा गोल हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे उसके दिमाग में पूरी तरह छा गए। मास्टर जी पाठ में रेलगाड़ी’ के बारे में पढ़ा रहे थे लेकिन उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं था। वह तो केवल कंचों के बारे में सोच रहा था, इसके लिए उसने मास्टर जी से डाँट भी खाई ।।

प्रश्न 2.
दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए।
उत्तर
दुकानदार व ड्राइवर के सामने अप्पू एक छोटा बच्चा है जो अपनी ही दुनिया में मस्त है। दुकानदार उसे देखकर पहले परेशान होता है। वह कंचे देख तो रहा है लेकिन खरीद नहीं रहा। फिर जैसे ही अप्पू ने कंचे खरीदे तो वह हँस दिया। ऐसे ही जब अप्पू के कंचे सड़क पर बिखर जाते हैं तो तेज़ रफ़्तार से आती कार का ड्राइवर यह देखकर परेशान हो जाता है कि वह दुर्घटना की परवाह किए बिना, सड़क पर कंचे बीन रहा है। लेकिन जैसे ही अप्पू उसे इशारा करके अपना कंचा दिखाता है तो वह उसकी बचपन की शरारत समझकर हँसने लगता है।

प्रश्न 3.
मास्टर जी की आवाज़ अब कम ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे। मास्टर जी की आवाज़ धीमी क्यों हो गई होगी? लिखिए।
उत्तर-
जब मास्टर जी ने कक्षा के बच्चों को रेलगाड़ी का पाठ पढ़ाना शुरू किया था, तब उनकी आवाज ऊँची थी क्योंकि वे सभी बच्चों का ध्यान आकर्षित करना चाहते थे। ध्यानपूर्वक पाठ को सुन सकें। जब पाठ शुरू हो गया तब बच्चे ध्यानपूर्वक उनकी बातें सुनने लगे तो उनकी आवाज़ धीमी हो गई।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
कंचे, गिल्ली-डंडा, गेंदतड़ी (पिट्ठू ) जैसे गली-मोहल्लों के कई खेल ऐसे हैं जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। आपके इलाके में ऐसे कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं? उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर-
हमारे इलाके में अब क्रिकेट, बैडमिंटन, फुटबॉल, खो-खो, वॉलीबाल, टेनिस आदि अधिक खेले जाते हैं।

प्रश्न 2.
किसी एक खेल को खेले जाने की विधि को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
क्रिकेट खेलने की विधि-क्रिकेट का मैच दो टीमें खेलती हैं। दोनों टीमों में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते। हैं। एक टीम बल्लेबाजी करती है और दूसरी टीम गेंदबाजी व क्षेत्ररक्षण। इस खेल में तीन निर्णायक होते हैं, दो मैदान में व एक दूर बैठकर कृत्रिम यंत्र कैमरे से निरीक्षण करता है। इस खेल में बल्लेबाज जीतने हेतु रन बनाते हैं। खिलाड़ी एक रन, दो रन, चौका व छक्का मारकर रनों की संख्या बढ़ाते हैं। दोनों टीमें बारी-बारी से खेलती हैं। जो टीम अधिक रन बनाती है वह जीत जाती है। इस खेल में चार अतिरिक्त खिलाड़ी भी होते हैं जो आवश्यकता पड़ने पर खेलते हैं। यह खेल एकदिवसीय व पंचदिवसीय खेला जाता है। इस खेल की लोकप्रियता दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
जब मास्टर जी अप्पू से सवाल पूछते हैं तो वह कौन सी दुनिया में खोया हुआ था? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी दिन क्लास में रहते हुए भी क्लास से गायब रहे हों? ऐसा क्यों हुआ और आप पर उस दिन क्या गुजरी? अपने अनुभव लिखिए।
उत्तर
जब मास्टर जी कक्षा में रेलगाड़ी का पाठ पढ़ा रहे थे तो अप्पू तो कंचों की दुनिया में खोया था उसका ध्यान मास्टर जी के द्वारा पढ़ाए जाने वाले पाठ में बिलकुल न था।

मेरा अनुभव-बात पिछले वर्ष की है मेरा जन्मदिन था। घर में सब मेहमान आए थे। घर के बाहर तंबू लगा था। हमारे घर आने वाले रिश्तेदारों के बच्चे उसमें खेल रहे थे लेकिन मेरी उस दिन गणित की परीक्षा थी इसलिए माँ ने मुझे विद्यालय भेज दिया। आधी छुट्टी तक परीक्षा चल रही थी तो मुझे घर का ख्याल भी न आया लेकिन आधी छुट्टी के बाद जब पीरियड लगने शुरू हुए तो विज्ञान की अध्यापिका पढ़ा रही थी। मेरे दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था क्योंकि मेरी आँखों के आगे तो घर का माहौल छाया था। इतने में अध्यापिका मेरे पास आई और पूछा कि तुम्हें प्रश्न समझ आ गया तो मैंने हाँ में उत्तर दे दिया लेकिन बहुत शर्म आई जब उन्होंने कहा कि तुम पढ़ क्या रही हो, पुस्तक तो तुम्हारी उल्टी पड़ी है। सच! मुझे बहुत शर्म आई। मैंने खड़े होकर सच अध्यापिका को बताया तो वे भी हँसने लगीं और मुझे ‘जन्मदिन मुबारक’ कहकर बिठा दिया।

प्रश्न 2.
आप कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?
उत्तर-
हम इस कहानी का शीर्षक देना चाहेंगे- ‘अप्पू के कंचे।

प्रश्न 3.
गुल्ली-डंडा और क्रिकेट में कुछ समानता है और कुछ अंतर। बताइए कौन-सी समानताएँ और क्या-क्या अंतर हैं?
उत्तर-
गुल्ली-डंडा ग्रामीण क्षेत्र का खेल है। गुल्ली डंडा में एक खिलाड़ी गुल्ली फेंकता है और दूसरा डंडे से उसे दूर तक फेंकने का प्रयास करता है। अन्य खिलाड़ी उस गिल्ली को कैच करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। क्रिकेट में बैट से गेंद को उछाला जाता है। बल्लेबाज द्वारा बल्ले से मारी गई गेंद को कैच करने का प्रयास किया जाता है। गुल्ली डंडा में मैदान और समय का कोई निश्चित पैमाना नहीं होता है। इसके अतिरिक्त क्रिकेट में ओवरों की संख्या निश्चित कर खेला जाता है और भारत के अलावे अन्य देशों में भी क्रिकेट खेला जाने वाला लोकप्रिय खेल हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित मुहावरे किन भावों को प्रकट करते हैं? इन भावों से जुड़े दो-दो मुहावरे बताइए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
माँ ने दाँतों तले उँगली दबाई ।
सारी कक्षा साँस रोके हुए उसी तरफ़ देख रही है।
उत्तर-
दाँतों तले उँगली दबाना-आश्चर्य प्रकट करना
अन्य मुहावरे-हक्का-बक्का रह जाना-मित्र की दुर्घटना का समाचार सुनकर मैं हक्का-बक्का रह गया।
विस्मित होना (हैरान होना)-ताजमहल की सुंदरता देखकर विदेशी सैलानी विस्मित हो गए।
साँस रोके हुए-(भयभीत होना)
दम साधे हुए-सभी छात्र दम साधे हुए परीक्षा परिणाम का इंतज़ार कर रहे हैं।
प्राण सूख जाना-सामने शेर को देखते ही शिकारी के प्राण सूख गए।

प्रश्न 2.
विशेषण कभी-कभी एक से अधिक शब्दों के भी होते हैं। नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्से क्रमशः रकम और कंचे के बारे में बताते हैं, इसलिए वे विशेषण हैं।
पहले कभी किसी ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे।
बढिया सफ़ेद गोल कंचे
• इसी प्रकार के कुछ विशेषण नीचे दिए गए हैं इनका प्रयोग कर वाक्य बनाएँ-
ठंडी अँधेरी रात
खट्टी-मीठी गोलियाँ
ताजा स्वादिष्ट भोजन
स्वच्छ रंगीन कपड़े
उत्तर

  1. ठंडी अँधेरी रात में मैं डर के कारण सो नहीं पाया।
  2. खट्टी-मीठी गोलियाँ बच्चों को बहुत लुभाती हैं।
  3. ताजा स्वादिष्ट भोजन देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया।
  4. स्वच्छ रंगीन कपड़े पहने वह लड़की सबको अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।

कुछ करने को

प्रश्न 1.
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ खोजकर पढ़िए। ‘ईदगाह’ कहानी में हामिद चिमटा खरीदता है और कंचा कहानी में अप्पू कंचे। इन दोनों बच्चों में से किसकी पसंद को आप महत्त्व देना चाहेंगे? हो सकता है, आपके कुछ साथी चिमटा खरीदनेवाले हामिद को पसंद करें और कुछ अप्पू को। अपनी कक्षा में इस विषय पर वाद-विवाद का आयोजन कीजिए।
उत्तर-
‘ईदगाह’ कहानी में मेला देखने के लिए दादी के द्वारा दिए गए तीन पैसों से हामिद उनके लिए ही एक चिमटा खरीदता है जबकि मेले में जब उसके साथी खिलौने खरीद रहे थे, लेकिन वह अपने लिए कुछ नहीं लेता है। उसे बस यही याद आता है कि रोटी बनाते समय दादी के हाथ जल जाते हैं और वह चिमटा खरीद लेता है।

दूसरी तरफ़ कंचा कहानी में अप्पू का कंचा के प्रति इतना लगाव है कि वह कक्षा की फ़ीस न जमा कर उन पैसों से ढेर सारे कंचे खरीद लेता है। दोनों कहानियों के आधार पर कक्षा में इस विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) इस कहानी के लेखक का नाम बताएँ
(i) पी० रामास्वामी
(ii) पी० गोपालस्वामी
(iii) टी० सुब्रह्मण्यम
(iv) टी० पद्मनाभन्।

(ख) काँच के बड़े-बड़े ज़ार कहाँ रखे थे?
(i) दुकान में
(ii) मेज पर
(iii) अलमारी में
(iv) काउंटर पर

(ग) रामन मल्लिका किसकी हँसी उड़ा रहे थे।
(i) जॉर्ज की
(ii) अप्पू की
(iii) कंचों की
(iv) उपर्युक्त सभी

(घ) अप्पू के विद्यालय के रास्ते में किसके पेड़ों की घनी छाँव थी?
(i) पीपल के
(ii) नीम के
(iii) आम के
(iv) शीशम के

(ङ) अप्पू का ध्यान किसकी कहानी पर केंद्रित था?
(i) सियार और कौआ की
(ii) लोमड़ी और कौए की
(iii) लोमड़ी और सारस की
(iv) सियार और ऊँट की

(च) अप्पू को कंचा आकार में किस प्रकार का लग रहा था?
(i) बाल की तरह
(ii) आँवले की तरह
(iii) अंगूर की तरह
(iv) नींबू की तरह

उत्तर-
(क) (iv)
(ख) (iii)
(ग) (ii)
(घ) (ii)
(ङ) (i)
(च) (ii)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

(क) अप्पू को दुकान के ज़ारों में रखे कंचे ही क्यों आकर्षित करते हैं, अन्य चीजे क्यों नहीं?
उत्तर-
अप्पू को उसके पिता जी सारी चीजे लाकर देते थे, लेकिन कंचे उसने पहली बार देखा था। इसलिए उसका ध्यान केवल कंचों पर जाता है।

(ख) कंचे देखकर अप्पू का मन कक्षा में क्यों नहीं लग रहा था?
उत्तर-
अप्पू ने जब विद्यालय जाने के समय एक दुकानदार के पास जार में कंचे देख लिए तो उसका दिल और दिमाग कंचों में ही खो गया। वह उसे खरीदने की तरकीब खोजने लगा। उसका ध्यान कक्षा में नहीं था। वह तो कंचों की दुनिया में खोया रहता था। वह सोचता है कि जॉर्ज के आते ही वह कंचे खरीदने जाएगा और उसके साथ खेलेगा।

(ग) कंचों को देखकर सबसे पहले अप्पू क्या सोचता है?
उत्तर-
कंचों को देखकर अप्पू सोचता है कि पहले ये कंचे दुकान में नहीं थे। शायद दुकानदार ने इन्हें अभी-अभी यहाँ रखा है।

(घ) कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी कौन है?
उत्तर-
कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी लड़कों के बीच में जॉर्ज है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) कंचे खरीदने में अप्पू किसकी मदद लेना चाहता है और क्यों ?
उत्तर-
कंचा खरीदने में अप्पू जॉर्ज की मदद लेना चाहता है। जॉर्ज कंचों के खेल का सबसे अच्छा खिलाड़ी माना जाता है। उसे कोई हरा नहीं पाता। जॉर्ज हारे हुए खिलाड़ी की बंद मुट्ठी के जोड़ों की हड्डी को तोड़ देता है।

(ख) अप्पू के कंचे सड़क पर कैसे बिखर गए?
उत्तर-
दुकानदार ने कागज की पोटली में बाँधकर कंचे उसे दे दिए। जब वह पोटली छाती से लगाए जा रहा था तो उसने देखना चाहा कि क्या सभी कंचों पर लकीरें हैं। बस्ता नीचे रखकर जैसे ही उसने पोटली खोली तो सारे कंचे सड़क पर बिखर गए।

(ग) कंचे कैसे थे?
उत्तर-
कंचे का आकार बड़े आँवले जैसा था और वे गोल और सफ़ेद थे। उनमें हरी लकीरें थीं। वह देखने में बहुत सुंदर लग रहे थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(क) कहानी में अप्पू ने बार-बार जॉर्ज को याद किया है? इसका क्या कारण था?
उत्तर-
जॉर्ज कंचे का अच्छा खिलाड़ी है। वह अप्पू का सहपाठी था। चाहे कितना भी बड़ा लड़का उसके साथ कंचा खेले, उससे वह हार जाएगा। हारे हुए खिलाड़ी को अपनी बंद मुट्ठी जमीन पर रखनी पड़ती थी। तब जॉर्ज कंचा चलाकर बंद मुट्ठी के जोड़ों की हड्डी तोड़ता है। अप्पू सोचता है कि जॉर्ज के आते ही वह उसे लेकर कंचे खरीदने जाएगा और उसके साथ खेलेगा। अप्पू की इस सोच के पीछे शायद यह कारण था कि जॉर्ज के साथ रहने से उसे हार का सामना नहीं करना पडेगा। इतना ही नहीं, वह सोचता है कि जॉर्ज के साथ रहने पर कक्षा में उसका कोई हँसी नहीं उड़ाएगा। इसके अलावे वह जॉर्ज के अतिरिक्त किसी को खेलने नहीं देगा।

मूल्यपरक प्रश्न

(क) क्या आपको कंचे अच्छे लगते हैं? क्या आप उनसे कभी खेले हैं?
उत्तर-
हाँ, हमें भी कंचे अच्छे लगते हैं, खासकर रंगीन धारियों वाले। बचपन में मैं तरह-तरह के कंचे एकत्रित करता था। बचपन में हमें बच्चों के बीच कंचा खेलना अच्छा लगता था।

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