NCERT Solutions for Class 6th Hindi Chapter 3 : नादान दोस्त
CBSE NCERT Solutions for Class 6th Hindi Chapter 3 – Nadan Dost – Vasant. पाठ 3 – नादान दोस्त (कहानी) हिंदी वसंत भाग-I
पाठ 3 – नादान दोस्त
– प्रेमचंद
पृष्ठ संख्या: 24
1. केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?
2. अंडों के बारे में दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
केशव और श्यामा दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे क्योंकि उनके प्रश्नों का उत्तर देनेवाला कोई नहीं था। न अम्मा को घर के काम-धंधों से फ़ुरसत थी न बाबू जी को पढने-लिखने से।
3. अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि – ‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
माँ के पूछने पर श्यामा ने कहा कि भइया ने अंडों को छेड़ा था क्योंकि उसे लगा भइया ने ही शायद अंडों को इस तरह रख दिया कि वह नीचे गिर पड़े। इसकी उसे सजा मिलनी चाहिए।4. पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?
केशव के छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो गए और इसलिए चिड़िया ने उन्हें नहीं सेया। चिड़िया ने उन अंडों को गिरा दिया और वे बर्बाद हो गए।
5. सही उत्तर क्या है?
अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि –
(ख) माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
(ग) माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
6. केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?
7. कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आईं और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।
8. पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?
माँ को बच्चों की नादानी व अज्ञानता पर हँसी आ गई। मेरी समझ से माँ को हँसने के बजाय उन्हें समझाना चाहिए था ताकि वो भविष्य में इन सब चीज़ों के प्रति सतर्क रहें।
3. माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?
4. प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?
‘नादानी’
1. नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो –
एक दिन दीपू और नीलु यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनद ले रहे थे? तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा ”मैं भूख से मरा जा रहा हूँ? क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते है?”
2. तगड़े बच्चे
मसालेदार सब्जी
बड़ा अंडा
इसमें रेखांकित शब्द क्रमश: बच्चे, सब्जी और अंडा की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।
कीमती – यह गाडी बहुत कीमती है।
बड़ा – यह बक्सा बड़ा है।
लम्बा – यह रास्ता लम्बा है।
3. नीचे कुछ प्रश्नवाचक वाक्य दिए गए हैं, उन्हें बिना प्रश्नवाचक वाक्य वे रूप में बदलो –
► अंडे बड़े होंगे।
► उनके रंग बताओ।
► उनकी संख्या बताओ।
► उनका खाना बताओ।5. उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे?
► उनमें से बच्चे निकलेंगे।
4. (क) केशव ने झुँझलाकर कहा…
(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला…
(ग) केशव घबराकर उठा..
(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा…
(ड) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा…
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।
(ख) बनाकर – उसने कागज़ का हवाई जहाज़ बनाकर उड़ाया।
(ग) घबराकर – मोहित घबराकर भाग गया।
(घ) टीकाकर – सुमित बैट को घुटनों से टिकाकर बातें करने लगा।
(ड़) गिड़गिड़ाकर – भिखारी गिड़गिड़ाकर भीख माँगने लगा।
5. नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिहों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जग़हों पर विराम चिन्ह लगाओ –
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखार्इ दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आर्इ न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं मोटेराम अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधू से कम हैं चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखार्इ दिया 11 बज चुके थे, चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया-खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ? भूख लग आर्इ न। अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है; हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधू से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।
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