गंगा की आत्मकथा (Hindi Essay Writing)
गंगा की आत्मकथा मेरा नाम गंगा है, पतित-पावनी गंगा ! मेरे किनारे पर बसे हुए अनेक तीर्थ-स्थान एक ओर मेरी महिमा के गीत गाते है तो दूसरी ओर अपनी पवित्रता के कारण जन-जन के मन को पावन कर देते है | जैसे सूर्य उदयकाल में घने अंधकार को विदीर्ण करके प्रकाशित होता है, उसी प्रकार…
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