Category: Hindi Nibandh Lekhan हिंदी निबंध लेखन

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मेरा शौक (Hindi Essay Writing)

मेरा शौक प्रत्येक व्यक्ति कुछ न कुछ शौक रखता है। शौक हमें आनंद देते हैं। शौक रखने से हमें ऊब नहीं होती। इससे काम के प्रति हमारा उत्साह बना रहता है। इसलिए मैं भी एक शौक रखती हूं। बागवानी मेरा सबसे प्रिय शौक है। मैं रोज सवेरे एक घंटे के लिए बागवानी करती हूं। मेरे…
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मेरी यात्रा (Hindi Essay Writing)

मेरी यात्रा छुटटी में हम सब घूमने जाते हैं। हम हर बार नाना-नानी के घर पर जाते हैं। लेकिन इस बार हम हरिद्वार की तीर्थ यात्रा पर गए थे। यह यात्रा हमने ट्रेन से की। हमने वहां पर खूब मस्तीन की। मेरे परिवार में पापा-मम्मीम, दादा-दादी और बड़ी दीदी हैं। हरिद्वार में हमारे गुरुजी का आश्रम है। हरिद्वार में हम सबने गंगाजी में स्नाीन कर आरती का आनंद लिया। हरिद्वार बहुत ही सुंदर तीर्थस्थहल है। सबसे पहले हम गुरुजी के आश्रम गए। फिर हमने मंदिरों के दर्शन किए। वहां हरि की पौड़ी के सामने मनसा देवी का मंदिर है। दूसरी तरफ पहाड़ी पर चंडी देवी का मंदिर है। हरिद्वार में बहुत सुंदर मंदिर बने हैं। दर्शनों के बाद हम हरिद्वार से कुछ ही दूरी पर ऋषिकेश गए। वहां राम व लक्ष्मण झूला नामक पुल है। यह पुल गंगा नदी पर बने हैं। पहाड़ों के बीच बहती गंगा नदी का दर्शन बड़ा मनोरम प्रतीत होता है। यहां से खूब बड़े-बड़े पहाड़ दिखते हैं। हरिद्वार में पवित्र गंगा नदी पर हमने मस्तीं की। मुझे वहां नई-नई जानकारी मिली। हरिद्वार में दूर-दूर से श्रद्वालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां हर 12 साल में कुंभ का मेला लगता है। कुंभ के मेले में बहुत से साधु-संत आते हैं। हरिद्वार से लगभग कुछ ही दूरी पर ब्रदीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के पवित्र धाम भी हैं। हमारी यात्रा बहुत ही रोमांचक व यादगार रही। हमने घूमने का मजा भी लिया और हमारी तीर्थ यात्रा भी हो गई। यहां हमें प्रकृति की सुंदरता देखने को मिली। अब अगली गर्मियों में हम चारधाम की यात्रा पर जाएंगे।

मेरा पसंदीदा शिक्षक (Hindi Essay Writing)

मेरा पसंदीदा शिक्षक अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है । प्राचीन काल में गुरु-शिष्य का सम्बंध पिता-पुत्र के समान होता था । हमारे देश में वशिष्ठ, विश्वामित्र एवं द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु हुए हैं ।इनके चरणों में भगवान भी सर झुकाते थे । किन्तु वर्त्तमान युग में न तो एकलव्य जैसे शिष्य हैं, न ही द्रोणाचार्य जैसे गुरु । इसलिए सभी अध्यापक आदर्श अध्यापक नहीं हो सकते । हमारे स्कूल में 25 अध्यापक हैं । सभी विद्वान और आदरणीय हैं । किन्तु मेरे आदर्श अध्यापक श्री दिनेशचंद जी हैं । वे हमें संस्कृत पड़ते हैं ।श्री दिनेशचंद जी बहुत विद्वान हैं । उन्होंने संस्कृत में शास्त्री की है । वे हिन्दी के भी विद्वान हैं । उनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली है । वे हमेशा स्कूल में खादी पहन कर आते हैं । वे बहुत मृदुभाषी हैं और सबसे हमेशा प्यार से बात करते हैं । मैंने कभी उनको गुस्सा करते हुए नहीं देखा । वे बहुत अच्छे लेखक और कवि हैं । वह भारतीय संस्कृति के समर्थक हैं किन्तु उदार हैं । वे दूसरे के विचारों का भी सम्मान करते हैं । वह कभी टूशन नहीं पढ़ाते हैं । वह कमजोर और निर्धन छात्रों की सदा मदद करते हैं । दूसरों की सहायता करना अपना कर्त्तव्य समझते हैं । वह निशुल्क विद्या भी दान करते हैं । वह अपने शिष्यों को अपनी संतान की तरह प्यार करते हैं, इस कारण सभी छात्र भी उनको चाहते हैं और पसंद करते हैं । सभी अध्यापक भी उनका बहुत सम्मान करते हैं । मुझे अपने अध्यापक पर बहुत गर्व है कि मुझे श्री दिनेशचंद जी के सानिध्य में ज्ञान ग्रहण करने को मिला ।

एक सुखद छुट्टी (Hindi Essay Writing)

एक सुखद छुट्टी गर्मी की छुट्टियां। सभी को अच्छी लगती है| लेकिन मेरे लिए किसी वरदान से कम न थी| इन गर्मियों की छुट्टी में वो अपनी नानी के घर आती थी| उसके आते ही मेरी गर्मी की छुट्टियां शुरू होती | और उसके जाते ही खत्म| वैसे आमतौर पर बच्चों की गर्मी की छुट्टियां रिजल्ट आते ही शुरू हो जाती है| लेकिन मेरी परीक्षा खत्म हो जाती| रिजल्ट आ जाता| मैं अच्छे नंबरों से पास भी हो जाता| लेकिन मेरी छुट्टियां कब शुरू होगीं पता नहीं होता था| क्यों की वो रिजल्ट की तरह 30 अप्रैल को नहीं आती थी| लेकिन मई शुरू होते ही| मानो मुझे उसकी आहट सुनाई देने लगती थी|  और उसका इंतजार मेरी दिनचर्या का हिस्सा होता था| दिन भर न जाने क्या क्या बहाने सोचता था| कि किसी न किसी तरह उसकी नानी के घर हो आंऊ| और तसल्ली कर लूं| उसकी नानी धार्मिक थी| यानि पूजा पाठ करती थी| मंदिर जाती थी| सो अपन को एक बहाना था| नानी को सुबह सुबह फूल दे आता| राम राम कर आता और इस बहाने पूरा घर खंगाल आता| मां से पूछ पूछ कर नानी को कभी अचार| कभी पापड़ और न जाने क्या क्या दिन भर उनको पहुंचाता रहता| कोई पता पूछने आए| तो घर तक ही पहुंचा आउ| या फिर शाम को उनसे रामायण या फिर महाभारत की कहानियां सुनने जाता था| लेकिन वो कहांनियां आधे मिनिट बाद ही उबाऊ हो जाती थीजैसे ही पता चलता कि एक दिन और खत्म हुआवो नहीं आई| फिर किसी दिन अचानक आम पर बौर की तरह वह चली आती | हर साल वह कुछ बदल सी जाती| शायद उसकी उम्र बड़ती जाती| वह फ्राक से सलवार सूट पर आ गईऔर फिर वह अपने दुपट्टे पर विशेष ध्यान देने लगी| वह उन जेठ की दोपहरी में सावन की तरह आकर मेरे आंगन में बरसती थी|  और मेरी छुट्टियां शुरू हो जाती| नए नए खेल| नई नई बातेंनई नई कहानियां | जिंदगी ही जैसे चमेली की तरह महक उठतीटूटने| फूटने या गुमने के डर से | में पूरे दस महीने किसी के साथ भी कंचे नहीं खेलता था| उसे दिखाने के लिए साल भर में सील लगे डाक टिकिट जमा करता था तो कभी पुराने सिक्के| तो कभी माचिस की खाली डिब्बियां| या फिर चमकनी कागज| प्लास्टिक के रंगीन टुकडे| कुछ अजीब सी चीजें| जिन्हें वो अपने खेल में इस्तेमाल कर सकें| मैं साल भर जमा करता मैं पतंग उड़ाने के लिए हर समय सद्दी को माजां बनाता रहता था| हमारे शहर में मिलने वाला एक विशेष तरह का मिरचुन उसे पसंद था| उसके लिए पैसे जमा करना| उसे लाना और उसे खिलाना अपने लिए चारों धाम करने जेसा था| उसके घर में नल नहीं था| सो वो हमारे घर से पानी भरने आती थी| मैं इन दो महीनों में अपनी मां की मदद करता पानी भरने में| मेरी मां या तो इतनी सीधी थी| को वो मेरी इस मदद की मंशा कभी समझ ही नहीं पाई| या फिर इतनी समझदार कि उसने कभी जाहिर ही नहीं होने दिया| कि वो समझती है| शुरूआती दिनों में ही एक रोज उसके घर की दोपहर में ही बिजली चली गई| और में उसकी नानी को अपने घर ले आया| मेरे घर के बड़े से कूलर के सामने उसकी नानी मेरी दादी के साथ आराम करती रहीं| उसकी मां मेरी मां के साथ और हम सिर्फ बातें करते रहे| जाते वक्त उसने कह दिया कि कितना अच्छा होता कि अगर हमारे घर की लाईट रोज जाती| हम छोटे थे| लेकिन इतनी समझ न जाने कहां से आ गई थी| कि हर रोज उसके घर की लाइट दोपहर को चली जाती | और में उसकी नानी को अपने घर ले आता| नानी से कहता कि दादी ने बुलाया हैं| और दादी से कहता कि नानी को गर्मी लगती है| और दोनों लोगों ने कभी भी एक दूसरे से इस बारे में जिक्र नहीं किया दोपहर हमारी अच्छी कटने लगी| जैसे ही हमारे बुजुर्ग जागते उसके कुछ देर बाद ही उसकी लाईट आजाती और वह चाय के साथ ही विदा हो जाती है| हमारी छत एक थी| वो अपने भाई बहिनों में सबसे बड़ी और में अपने परिवार में| शाम होते ही हम अपनी छत पर पानी डालते और बिस्तर बिछा लेते फिर कहांनियां सुनाते| हमारे भाई बहिन कभी दो तो कभी चार कहांनियां तक जागते रहते| आखरी व्यकित के सोते ही हमारी कहानियों के पात्र बदल जाते| और फिर हम कई बार सुबह तक बतियाते ही रहते| वे दस महीने जो उसके इंतजार मे कटते| और वे दो महीने जो उसके साथ गुजरते| जिंदगी के इस चक्र में हमें कभी समझ में ही नहीं आया| न पता चल पाया| कि हम दोपहर में गुड्डी गुड्डी| राजा मंत्री चोर सिपाही और सांप सीड़ी खेलते खेलत| कब घर बसाने लगे| कब जिंदगीजिंदगी खेलने लगे| रात में सोते समय कहानिंया बदलते बदलते हम कब चिठ्ठियां बदलने लगे| हमारी जिंदगी गर्मियों की छुट्टियों में ही बढ़ने| संभलने| गुनगाने और नांचने लगी| लेकिन फिर एक गर्मी की छुट्टी वो नहीं आई| उसके पिता का पत्र आया मेरे पिता के लिए| वो भी हल्दी लगा| हुआ| मेरी आँखों ने सिर्फ हल्दी लगी ही चिठ्ठी देखी| बाकी कुछ भी छलक आए आसुंओं ने देखने नहीं दिया| गर्मी की छुट्टी शुरू होने से पहले ही उसकी नानी और नाना| शायद तैयारियों के लिए उसके शहर ही चले गए| वो नानी का घर जिससे मुझे पूरी गर्मी की छुट्टियां कभी मंदिर की आर्तियां तो कभी आजानें सुनाई देती थी| खंडर रहा |  एक सन्नाटा पूरे घर पर पसरा रहा| और उसके बाद मेरी जिंदगी में न कभी वो आई और न गर्मी की छुट्टियां|

एक मतदान केंद्र के एक दृश्य (Hindi Essay Writing)

एक मतदान केंद्र के एक दृश्य चुनाव लोकतंत्र का आधार स्तम्भ हैं। आजादी के बाद से भारत में चुनावों ने एक लंबा रास्ता तय किया है।1951-52 को हुए आम चुनावों में मतदाताओं की संख्या 17,32,12,343 थी, जो 2014 में बढ़कर 81,45,91,184 हो गई है।[1] 2004 में, भारतीय चुनावों में 670 मिलियन मतदाताओं ने भाग लिया (यह संख्या दूसरे सबसे बड़े यूरोपीय संसदीय चुनावों के दोगुने से अधिक थी) और इसका घोषित खर्च 1989 के मुकाबले तीन गुना बढ़कर $300 मिलियन हो गया। इन चुनावों में दस लाख से अधिक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल किया गया।[2] 2009 के चुनावों में 714 मिलियन मतदाताओं ने भाग लिया[3] (अमेरिका और यूरोपीय संघ की संयुक्त संख्या से भी अधिक).[4]मतदाताओं की विशाल संख्या को देखते हुए चुनावों को कई चरणों में आयोजित किया जाना आवश्यक हो गया है (2004 के आम चुनावों में चार चरण थे और 2009 के चुनावों में पांच चरण थे)। चुनावों की इस प्रक्रिया में चरणबद्ध तरीके से काम किया जाता है, इसमें भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की तिथि की घोषणा, जिससे राजनैतिक दलों के बीच \”आदर्श आचार संहिता\” लागू होती है, से लेकर परिणामों की घोषणा और सफल उम्मीदवारों की सूची राज्य या केंद्र के कार्यकारी प्रमुख को सौंपना शामिल होता है। परिणामों की घोषणा के साथ चुनाव प्रक्रिया का समापन होता है और नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त होता है।राज्य सभा चुनाव (मतदाता → विधान सभा एवं नामांकन → राज्य सभा)राज्य सभा के सदस्यों का चयन अप्रत्यक्ष रूप से होता है और ये लगभग पूरी तरह से अलग-अलग राज्यों की विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं, जबकि 12 सदस्यों का नामांकन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, इसमें आमतौर पर भारत के प्रधानमंत्री की सलाह और सहमति शामिल होती है।राष्ट्रपति चुनाव (लोकसभा एवं राज्य सभा और विधान सभा → राष्ट्रपति)भारत के राष्ट्रपति का चुनाव 5 साल के लिए अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। इसके लिए निर्वाचन मंडल का प्रयोग किया जाता है जहां लोक सभा व राज्य सभा के सदस्य और भारत के सभी प्रदेशों तथा क्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्य अपना वोट डालते हैं।

मेरा आदर्श नेता और एक भारतीय हीरो (Hindi Essay Writing)

मेरा आदर्श नेता और एक भारतीय हीरो एक ही दिवस पर दो विभूतियों ने भारत माता को गौरवान्वित किया। गाँधी जी एवं लाल बहादूर शास्त्री जैसी अदभुत प्रतिभाओ का 2 अक्टूबर को अवतरण हम सभी के लिये हर्ष का विषय है। सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र करा करके हम…
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कम्प्यूटर का महत्व (Hindi Essay Writing)

कम्प्यूटर का महत्व आज मानव तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए बेतहाशा व्याकुल हैं। आज मानव हर क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। आजकल संस्थाओं तथा उद्योग धंधों में कम्यूटर का प्रयोग विशाल पैमाने पर हो रहा है। साथ ही हर छोटी से छोटी समस्या को सुलझाने के लिए भी कम्प्यूटर का…
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भारत में आतंकवाद (Hindi Essay Writing)

भारत में आतंकवाद मानव एक विवेकशील प्राणी है. वह विचार और भावों में संतुलन रखकर समूची मानवता के कल्याण के लिए कार्य कर सकने में सक्षम है|उसका अस्तित्व ही उसकी विवेकशीलता पर निर्भर करता है| आंतकवाद मनुष्य के इसी विवेक का हरण कर लेता है| उसे विवेक्शुन्य कर देता है और वह अपनी मानवता से…
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भारत का महान पक्षेपास्त्र पुरुष (Hindi Essay Writing)

भारत का महान पक्षेपास्त्र पुरुष भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है| यह पहले ऐसे गैर-राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति रहे जिनका राजनीति में आगमन विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में दिए गए उत्कृष्ट योगदान के कारण हुआ| ए.पी.जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम,…
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खेल जिसे में सबसे अधिक पसन्द करता हूँ (Hindi Essay Writing)

खेल जिसे में सबसे अधिक पसन्द करता हूँ भारत में बहुत से खेल खेले जाते हैं । क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल और वॉलीवाल लोगों के प्रिय खेल हैं । पर ये खेल सभी लोग नहीं खेल सकते हैं क्योंकि इन खेलों का सामन महंगा आता है और विशेष रूप से तैयार मैदान चाहिए ।में भी निर्धन…
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