Category: Hindi Nibandh Lekhan हिंदी निबंध लेखन

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जीएसटी पर निबंध (Hindi Essay Writing)

जीएसटी पर निबंध अगस्त 2009 में 13वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री विजय केलकर की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर पर विचार-विमर्श करने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया| इस सभा में केलकर महोदय ने वस्तु एवं सेवा कर को लागू करने में केंद्र-राज्य के मध्य सहयोग एवं तालमेल को अनिवार्य शर्त…
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सांप्रदायिकता पर निबंध (Hindi Essay Writing)

सांप्रदायिकता पर निबंध सांप्रदायिक हिंसा कि यदि सामाजिक व्याख्या की जाए, तो यह कहा जा सकता है कि लोग हिंसा का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि वह असुरक्षा एवं चिंता से ग्रस्त होते हैं| इन भावनाओं एवं चिंताओं की उत्पत्ति उन सामाजिक अवरोध से होती है, जो दमनात्मक सामाजिक व्यवस्था और सत्ताधारी अभिजनों द्वारा उत्पन्न…
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महिला आरक्षण विधेयक पर निबंध (Hindi Essay Writing)

महिला आरक्षण विधेयक पर निबंध  सत्ता में सशक्त भागीदारी के बिना विकास असंभव है| अच्छा तो यह हो सकता है कि महिलाओं को विधायिकाओं में आरक्षण देने की अपेक्षा शैक्षिक एवं आर्थिक क्षेत्र में विकास के पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाते तथा समाज में ऐसा वातावरण निर्मित किया जाता, जिससे स्त्रियाँ स्वंय को प्रासंगिक एवं स्वतंत्र महसूस करती तथा देश के विकास में पुरुषों के समक्ष भागीदारी बनती, लेकिन पुरुष मानसिकता प्रधान समाज में संक्रिण विचारधारा के कारण लोग उन्हें घरो की चारदीवारी में ही रहने का समर्थन करते हैं, क्योंकि उन्हें वास्तव मे अपनी सत्ता पर खतरा नजर आता है|               महिला आरक्षण के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि उन्हें पर्याप्त आरक्षण क्यों नहीं मिलना चाहिए ? समाज का सुधारवादी या प्रगतिशील वर्ग मानते है की आरक्षण के माध्यम से प्राप्त प्रतिनिधित्व होने से समाज का प्रयाप्त  विकास संभव है, जबकि समाज के रुढ़िवादी वर्ग का मानना है कि विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर उसका बुरा प्रभाव पारिवारिक प्राणली पर पड़ेगा, जिससे समाज के विकास की नींव कमजोर हो जाएगी | बचपन मैं स्त्री की रक्षा पिता करता है, जवानी में पति तथा बुढ़ापे में पुत्र, इसलिए स्त्रियाँ स्वतंत्रता योग्य ही नहीं है| धीरे-धीरे मध्यकाल तक आते-आते उनके सभी अधिकार छीन लिए गए| उन्हें पुरुषों के उपयोग की वस्तुमात्र बना दिया| पर्दा प्रथा के आगमन के साथ- साथ उनकी स्थिति और दयनीय होती गयी, लेकिन समय के साथ आधुनिक काल में पाशचात्य शिक्षा के विकास एवं प्रसार  के बाद महिलाओं के लिए एक बार फिर विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है| ऐसी स्थिति में महिलाओं को अपने सर्वागिण विकास के लिए हरसंभव कोशिश करनी चाहिए और पुरुष वर्ग को उनकी इस कोशिश में ईमानदारीपूर्वक सहायता करनी चाहिए|                सभ्यता के आरंभ से ही मानव समाज के विकास में आधी आबादी की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है और हमेशा रहेगी| ऐसी स्थिति में किसी भी समाज का पूर्ण विकास समाज के आदर्श सदस्य को अलग थलग करके नहीं किया जा सकता| समय की मांग है की समाज चतुर्मुर्खी एवं समग्र विकास के लिए आधी आबादी की को सहयोगी बनाय जाए और उसकी सहभागिता के लिए यदि आरक्षण आवश्यक हो तो इस प्राणी को भी क्रियांवित किया जाए|                प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के शासनकाल में महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की पूरी कोशिश की गई उसके बाद भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन सरकार ने विधेयक को संसद में प्रस्तुत किया, लेकिन हर बार लोकसभा में विधानसभा में महिलाओं को 30% आरक्षण देने का मामला विभिन्न राजनीतिक दलों के मध्य तीव्र मतभेद होने के कारण टलता गया| इन दलों की मांग आरक्षण में आरक्षण देने की है, जिसका अर्थ महिलाओं के लिए आरक्षित 33% सीटों में भी एक-तिहाई सीटें अल्पसंख्यक, दलित एवं पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित करना| वर्ष 2014 में गुजरात सरकार द्वारा राज्य पुलिस बल में महिलाओं को 33% आरक्षण देने की घोषणा की गई| यह घोषणा करते हुए वहां के वर्तमान मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा था समाज में महिलाओं की स्थिति बेहतर करने के लिए उन्हें सशक्त बनाने की आवश्यकता है| इसलिए हमारी सरकार ने पुलिस भर्ती में महिलाओं को आरक्षण देने का फैसला किया | केंद्र सरकार द्वारा अन्य राज्य में भी ऐसे ही पहल करने की सिफारिश की गई आशा है, भविष्य में इसके अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे|                  महिला आरक्षण विधेयक के अनुसार, संसद में 33.3% सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होंगी| चुनाव के लिए लॉटरी के द्वारा एक-तिहाई सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएँगी| वास्तव में, भारतीय राजनीति में आरक्षण का प्रावधान अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति का परिणाम था| अंग्रेजो ने भारत परिषद, अधिनियम,  1992 के माध्यम से पहली बार मुसलमानों को पृथक एवं प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व दिया| स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान के अनुच्छेद 15(04) एवं अनुच्छेद 16(04) के अतिरिक्त अनुच्छेद 330 से लेकर अनुच्छेद 342 तक भारतीय समाज में सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विभिन्न प्रकार के आरक्षण की व्यवस्था की गई है, किंतु अभी तक गठित किसी भी समिति या आयोग ने महिलाओं के लिए स्वतंत्र रुप से आरक्षण प्रदान करने की कभी भी संस्तुति नहीं की| महिलाओं को आरक्षण देने संबंधी मुद्दे पहली बार राजीव गांधी ने उठाया था|                  शिक्षा के छेत्र में अपनी क्षमता का परिचय देने के बाद स्त्रियों ने जीवन के अन्य क्षेत्रों में जैसे व्यवसाय, प्रशासन आदि में भी अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर दिया, इसके बावजूद उन्होंने यह महसूस हो रहा है कि राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त किए बिना उन्हें अपने संपूर्ण विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्त नहीं हो सकता|

महिला आरक्षण विधेयक पर निबंध (Hindi Essay Writing)

महिला आरक्षण विधेयक पर निबंध   पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिकता की स्वार्थपूर्ण एवं कुटिल राजनीति के कारण भारत की धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं को काफी ठेस पहुंची है| इसके अतिरिक्त कुछ विघटनकारी शक्तियों ने भी देश के भीतर अपनी जड़ें स्थापित कर ली हैं| स्वतंत्रता दिवस हमें देश के लिए शहीद हुए लोगों की याद दिलाता है| यह हमें किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्रेरणा देता है अंग्रेजों ने जब भारत वर्ष के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार किया था तब आत्मसम्मान से भरे स्वर में जफर ने कहा था–“हिंदुओं में बू रहेगी जब तलक ईमान की, तख्त लंदन पर चलेगी तेग हिंदुस्तान की”| समय आने पर ईश्वर और धर्म पर विश्वास रखने वाले सच्चे हिंदुस्तानियों ने अपने बाहूबल की बदौलत अंग्रेजों से सत्ता छीन कर उनकी बातों को सच साबित कर दिया था|               भारत के नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य होता है कि हम इस भावनाओं को नष्ट ना होने दें और इसको अधिक पुष्ट बनाएं| इस कार्य में स्वतंत्रता दिवस की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है, इसके रूप में हम अपनी राष्ट्रीय एकता का जशन मनाते हैं| यह हमारा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक पर्व बन गया है| इतिहास साक्षी है कि अनेक धर्मों, अनेक जातियों और अनेक भाषाओं वाला यह देश अनेक विसंगतियों के बावजूद सदा एकता के सूत्र में बंधा रहता है| यहां अनेक जातियों आगमन हुआ और वह धीरे-धीरे इसकी मूल धारा में विलीन हो गए| उनकी परंपराएं, विचारधाराएं और संस्कृति इस देश के साथ एकरूप हो गई| भारत की यह विशेषता आज भी ज्यो की त्यों बनी हुई है|                जो राष्ट्रीय संगठित होता है उसे ना कोई तोड़ सकता है और ना ही कोई उसका कुछ बिगाड़ सकता है| वह अपनी एकता एवं सामूहिक प्रयास के कारण सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है| कई बार हमारे दुश्मन देश या पैसे के लिए सब कुछ बेच देने वाले कुछ स्वार्थी और अराजकता एवं आतंकी कार्यो द्वारा हमारी एकता को भंग करने का असफल प्रयास करते हैं| अतः भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि इस की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए हर बलिदान और त्याग करने को प्रस्तुत रहे|                सारे कार्यक्रम दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किया जाता है| देश के प्रत्येक हिस्से से लोगों स्वतंत्रा दिवस का कार्यक्रम देखने के लिए दिल्ली आते हैं| बच्चे समारोह में भाग लेने के लिए जल्द ही सुबह आ जाते हैं| समाज के हर वर्ग लाल किले पर पहुंचते हैं और लाल किले के सामने उनके बैठने का पूरे प्रबंध किया जाता है| बहुत से राजदूत और यहां तक कि विदेशी उच्च-अधिकारी भी इस कार्यक्रम को देखने आते हैं| कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बहुत से पुलिसकर्मी तैनात किये जाते है| यह समारोह भारतीय राज्यों की राजधानियों में भी मनाया जाता है| प्रधानमंत्री के स्थान पर वहां के मुख्यमंत्री भाषण देते हैं| देश की एकता, स्वतंत्रता और अखंडता की रक्षा के लिए सब कुछ बलिदान करने की सभी सौगंध लेते हैं|                 15 अगस्त 1947 को लालकिले पर झंडा फहराते हुए हमारे प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था “रात 12:00 बजे जब आधी दुनिया सो रही है भारत जीवन और स्वतंत्रता पाने के लिए जाग रहा है| यह एक ऐसा क्षण है जो दुर्लभ है जब हम पुराने युग से नए युग की ओर कदम बढ़ा रहे हैं भारत पुनः अपनी पहचान बनाएगा आजादी के बाद भारत की प्रगति को देख कर यह कहा जा सकता है कि नेहरु जी का यह कथन आज सार्थक हो रहा है| आज भारत दुनिया भर में राजनीतिक ही नहीं आर्थिक शक्ति के रुप में भी उभर रहा है| भारतीय युवा अपनी प्रतिभा एवं क्षमता पूरी दुनिया मे फैला रहे है| गांव का तेजी से विकास हो रहा है, महिलाओं में पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है|                आजादी प्राप्त करने के बाद 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के लागू होने के साथ ही हमारा देश गणतंत्र हुआ| भारतीय प्रजातंत्र में लिंग जाति धर्म इत्यादि किसी भी आधार पर नागरिकों में भेद नहीं किया जाता| धर्मनिरपेक्षता भारतीय गणतंत्र की एक प्रमुख विशेषता है|

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (Hindi Essay Writing)

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिकता की स्वार्थपूर्ण एवं कुटिल राजनीति के कारण भारत की धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं को काफी ठेस पहुंची है| इसके अतिरिक्त कुछ विघटनकारी शक्तियों ने भी देश के भीतर अपनी जड़ें स्थापित कर ली हैं| स्वतंत्रता दिवस हमें देश के लिए शहीद हुए लोगों की याद दिलाता है|…
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राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध (Hindi Essay Writing)

राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध भले ही हिंगलिश के बहाने हिंदी बोलने वालों की संख्या बढ़ रही है, किंतु हिंगलिश का बढ़ता प्रचलन हिंदी भाषा कीगरिमा के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय है| कुछ वैज्ञानिक शब्दों: जैसे मोबाइल. कंप्यूटर, साइकिल,टेलीविजन एवं अन्य शब्दों: जैसे स्कूल, कॉलेज, स्टेशन इत्यादि तक तो ठीक है, किंतु अंग्रेजी के…
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आरक्षण नीति (Hindi Essay Writing)

आरक्षण नीति सरकार ने 104वें संविधान संशोधन के द्वारा देश में सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ गैर सहायता प्राप्त निजी शिक्षण संस्थानों में भी अनुसूचित जातियों/जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ प्रदान कर दिया है| सरकार के इस निर्णय का समर्थन और विरोध दोनों हुआ| वास्तव में, निजी क्षेत्रों में आरक्षण लागू होना अत्यधिक कठिन है, क्योंकि निजी क्षेत्र लाभ से समझौता नहीं कर सकते, यदि गुणवत्ता प्रभावित होने से ऐसा होता हो| तुलियन सिविजियन ने कहा था “जब आप पर खाने के लिए कुछ भी नहीं होगा, तब आप अद्भुत आविष्कार करेंगे, आप बिना डर या आरक्षण के बड़ा जोखिम लेने हेतु तैयार रहेंगे|”                पिछले कई वर्षों से आरक्षण के नाम पर राजनीति हो रही है, आए दिन कोई न कोई वर्ग अपने लिए आरक्षण की मांग कर बैठता है एवं इसके लिए आंदोलन करने पर उतर जाता हैं| इस तरह, देश में अस्थिरता एवं अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है| आर्थिक एवं सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर निम्न तबके के लोगों के उत्थान के लिए उन्हें सेवाएं एवं शिक्षा में आरक्षण प्रदान करना उचित है, लेकिन जाति एवं धर्म के आधार पर तो आरक्षण को कतई उचित नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक और तो इससे समाज में विभेद उत्पन्न होता है, तो दूसरी और आरक्षण पाकर व्यक्ति कर्म के क्षेत्र से भी विचलित होने लगता है|                  वर्ष 2014 के प्रारंभ में कांग्रेस पार्टी के महासचिव श्री जनार्दन द्विवेदी ने कहा था कि देश में आरक्षण जाति आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक आधार पर किया जाना चाहिए| वास्तव में जनार्दन द्विवेदी जी की कही बात पर गंभीरता पूर्वक विचार विचारने का समय आ गया है, क्योंकि आज प्रशन गरीबी का है और गरीबी की कोई जाति या धर्म नहीं होता| आज समाज के हर वर्ग के उत्थान हेतु आरक्षण के अलावा अन्य विकल्प भी खोजा जाना चाहिए, ताकि समाज में सब के साथ न्याय हो सके और सभी वर्गों के लोग एक साथ उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सके|

वृक्षारोपण (Hindi Essay Writing)

वृक्षारोपण वर्ष 2030 तक विश्व की जनसंख्या के 8.3 अरब से अधिक हो जाने का अनुमान है, जिसके कारण उस समय भोजन एवं ऊर्जा की मांग 50% अधिक तथा स्वच्छ जल की मांग 30% अधिक हो जाएगी| भोजन, ऊर्जा एवं जल की इस बढ़ी हुई मांग के फलस्वरुप उत्पन्न संकट के दुष्परिणाम भी भयंकर हो…
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बाल श्रम (Hindi Essay Writing)

बाल श्रम भारत में जनसंख्या का एक बड़ा वर्ग अशिक्षित है, जिसके दृष्टिकोण में शिक्षा ग्रहण करने से अधिक आवश्यक है धन कमाना, जिससे बाल श्रम को बढ़ावा मिलता है| बड़ा और संयुक्त परिवार होने से परिवार के कम ही लोगों को रोजगार मिल पाता है, फलस्वरूप बच्चों को काम करने के लिए विवश होना…
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स्वच्छ भारत अभियान (Hindi Essay Writing)

स्वच्छ भारत अभियान यह सभी बातें और तथ्य हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम भारतीय साफ-सफाई के मामले में भी पिछड़े हुए क्यों हैं ? जबकि हम उस समर्थ एवं गौरवशाली भारतीय संस्कृति के अनुयायी हैं जिसका मुख्य उद्देश्य सदा “पवित्रता” और “शुद्धि” रहा है| वास्तव में भारतीय जनमानस इसी अवधारणा के…
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