स्वतंत्रता दिवस अर्थात् प्रदह अगस्त का दिन भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम दिन है जिसे हम भारतीय युग-युगांतर तक भुला नहीं सकेंगे क्यांेकि इसी दिन हमारा देश अंग्रेजी पराधनता से मुक्त हुआ था। लगभग तीन सौ वर्षों की राजनीतिक अस्थिरता के पश्चात् इसी दिन देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व0 पं0 जवाहर लाल नेहरू ने देश का राष्ट्रीय तिरंगा झंडा लाल किले की प्राचीर पर फहराया था जहाँ कि पहले यूनियन जैक लहराया करता था। देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष बहुत पहले ही प्रारंभ हो चुका था। सन् 1857 ई0 में ही देशभक्तों ने क्रांति के बीज बो दिए थे। तब से स्वतंत्रता प्राप्ति तक हजारों लोगों ने मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। स्वतंत्रता संग्राम ने चमत्कारिक मोड़ तब लिया जब गाँधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर सँभाली। महात्मा गाँधी का पूरा जीवन भारतीयों के हक के लिए संघर्ष में बीता। यह उनका ही नेतृत्व था जब सारा देश उनके बताए गए मार्ग पर चल पड़ा था। उन्होनें जिन शब्दों का प्रयोग किया वे भारत के लिए ही नहीं अपितु विश्व के लिए अद्विितीय थे। उनके शब्द थे – सत्य और अहिसां। गाँधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलनों मे देशवासियों ने अंग्रेजी वस्तुओं का पूर्णतः बहिष्कार किया। अहिंसा के पथ पर चलते हुए हजारों लोगों ने हँसते-हँसते स्वंय को बलिदान कर दिया। नेतागण जेल में डाल दिए गए। अंग्रेजी सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलनों को दबाने के सभी तरह से प्रयास किए पंरतु अंततः उन्हें अपने घुटने टेकने पड़े और 15 अगस्त 1947 ई0 के दिन देश को अंग्रेजी दासता से मुक्ति मिल गई। इसी खुशी में प्रत्येक वर्ष बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देश 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। स्वतंत्रता दिवस के कई दिन पूर्व से ही देश में इसे मनाने हेतु तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं। देश की राजधानी दिल्ली में तो इसका आयोजन विशेष रूप से होता है। इस दिन प्रतिवर्ष देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं तथा राष्ट्रगान गाया जाता है। इस समारोह में अनेक नेता, राजनयिक तथा देश-विदेश के अन्य गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित होते हैं। ध्वजारोहण के पश्चात् माननीय प्रधानमंत्री जी देश के नाम संदेश देते हैं जिसमें वे सरकार की अनेक उपलब्धियों के साथ-साथ भावी योजनाओं व रणनीतियों पर प्रकाश डालते हैं। दिल्ली के अतिरिक्त देश की अन्य प्रमुख संस्थाओं व विद्यालयों आदि में भी स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।इस दिन अनेक स्थानों पर सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं का उत्साह देखते ही बनता है। विद्यालयोें में विभिन्न प्रकार के खेलकूद व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें छात्र-छात्राएँ बड़े ही उत्साह के साथ भाग लेते हैं। ग्रामीण अंचलों में भी इसका उल्लास देखते ही बनता है। संपूर्ण देश विशेषकर संसद भवन व राष्ट्रपति भवन विद्युत प्रकाश से ही जगमगा उठते हैं। स्वतंत्रता दिवस का पर्व सभी देशवासियों के लिए पावन पर्व है। यह हमें अमर शहीदों के बलिदानों का स्मरण कराता है तथा इसें पे्ररणा देता हैं कि हम अपने देश की स्वतंत्रता, अखंडता व अक्षुण्णता को बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प रहें। हमें अपने महान् स्वतंत्रता सेनानियों के कृत्यों का अनुसरण करते हुए एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जहाँ अशिक्षा, संप्रदायवाद, अंधविश्वास तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों का अस्तित्व न बचें। इसके लिए जन-जन को जागरूक होने की आवश्यकता है। सच ही कहा गया है कि स्वतंत्रता प्राप्त करने से अधिक कठिन और जिम्मेदारीपूर्ण है उसे कायम रखना। अतः अपनी आजादी की रक्षा हर कीमत पर होनी चाहिए।