स्वच्छता का अर्थ होता है हमारे शरीर, मन और हमारे चारों तरफ की चीजों को साफ करना। स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण होता है। यह विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचाव के सरलतम उपायों में से एक है।यह जीवन की आधारशिला होती है। इसमें मानव की गरिमा, शालीनता और आस्तिकता के दर्शन होते हैं। स्वच्छता के द्वारा मनुष्य की सात्विक वृत्ति को बढ़ावा मिला है। रोजमर्रा के जीवन में हमें अपने बच्चों को साफ-सफाई के महत्व और इसके उद्देश्यों को भी समझाना चाहिए। स्वच्छता का महत्व : मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक और सामाजिक हर तरीके से स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी होती है। स्वच्छता को मनुष्य को स्वंय करना चाहिए। हमारी भारतीय संस्कृति में भी वर्षों से यह मान्यता है कि जहाँ पर सफाई होती है वहाँ पर लक्ष्मी का वास होता है। हमारे भारत के धर्मग्रन्थों में साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में बहुत से निर्देश दिए गए हैं।हमारे भारत देश की वास्तविकता यह है कि यहाँ पर अन्य स्थानों की अपेक्षा मंदिरों में सबसे अधिक गंदगी पाई जाती है। धार्मिक स्थलों पर विभिन्न आयोजनों पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन स्वच्छता के महत्व से अनजान होकर वहाँ पर बहुत बड़ी मात्रा में गंदगी फैलाते हैं। स्वस्थ मन, शरीर और आत्मा के लिए स्वच्छता बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।आचरण की शुद्धता में स्वच्छता बहुत जरूरी होती है। शुद्ध आचरण से मनुष्य का चेहरा तेजोमय रहता है। सभी लोग उस व्यक्ति को आदर की दृष्टि से देखते हैं। उनके सामने मनुष्य खुद ही अपना सिर झुका देता है। उस व्यक्ति के प्रति लोगों में अत्यंत श्रद्धा होती है। स्वास्थ्य रक्षा के लिए स्वच्छता बहुत अनिवार्य होती है। जब मनुष्य स्वच्छ रहता है तो उसमें एक तरह की स्फूर्ति और प्रसन्नता का संचरण होता है।स्वच्छता की आवश्यकता : साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। वह अपने और आस-पास के क्षेत्र को साफ रखना चाहता है। वह अपने कार्यस्थल पर गंदगी नहीं फैलने देता। अगर वह सफाई नहीं रखेगा तो साँप, बिच्छु, मक्खी, मच्छर तथा अन्य हानिकारक कीड़े-मकोड़े आपके घर में प्रवेश करेंगें जिससे अनेक प्रकार के रोग और विषैले कीटाणु घर में चारों तरफ फैल जायेंगे।बहुत से लोगों का यह कहना होता है कि यह काम सरकारी एजंसियों का होता है इसलिए खुद कुछ न करके सारी जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ देते हैं जिसकी वजह से चारों तरफ गंदगी फैल जाती हैं और अनेक प्रकार के रोग और बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। जब तक हम स्वच्छता के महत्व को नहीं समझेंगे तब तक हम अपने आप को सभ्य और सुसंस्कृत नहीं कह सकते हैं। आज के समय में 60 फीसदी से ज्यादा लोग खुले में शौच करने जैसी बुरी आदतों की वजह से बहुत सी जानलेवा बिमारियों को उत्पन्न कर रहे हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए शरीर की सफाई बहुत आवश्यक होती है। ऐसा माना जाता है कि गंदगी और बीमारी हमेशा एक साथ शरीर में जाते हैं। शरीर को स्वस्थ और बिमारियों से रहित रखने के लिए स्वच्छता बहुत ही आवश्यक होती है।स्वच्छता के उपाय : अगर हम अपने घर और आस-पास के क्षेत्र में साफ-सफाई रखेंगें तो हम बहुत से रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देंगे। सफाई रखकर मनुष्य अपने चित्त की प्रसन्नता भी प्राप्त कर सकता है। सफाई मनुष्य को अनेक प्रकार के रोगों से बचाती है। साफ-सफाई के माध्यम से मनुष्य अपने आस-पास के वातावरण को दूषित होने से बचा सकता है।कुछ लोग साफ-सफाई को बहुत कम महत्व देते हैं और ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहाँ पर आस-पास कूड़ा कचरा फैला होता है। उन्हें अपने व्यवहार में परिवर्तन करना चाहिए और आस-पास के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए। स्वच्छता का संबंध खान-पान और वेश-भूषा से भी होता है।रसोई की वस्तुओं और खाने-पीने की वस्तुओं का विशेष रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। बाजार से लाए जाने वाले फल, सब्जी और अनाज को अच्छी तरह से धोकर प्रयोग में लाना चाहिए। पीने के पानी को हमेशा साफ बर्तन में और ढककर रखना चाहिए। गंदे कपड़े कीटाणु युक्त होते हैं इसलिए हमें हमेशा साफ-सुथरे कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए।अपने शरीर की स्वच्छता का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है। प्रतिदिन स्नान करना चाहिए और अपने शरीर की गंदगी को साफ करना चाहिए। सभी को सप्ताह में कम-से-कम दो दिन साबुन से स्नान करना चाहिए ताकि शरीर में छिपे कीटाणुओं को नष्ट किया जा सके। नाखूनों को बढने नहीं देना चाहिए क्योंकि नाखूनों में होने वाली गंदगी से अनेक प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं।जिस प्रकार से घर की सफाई में घर के सदस्यों की भूमिका होती है उसी प्रकार बाहर की सफाई में समाज की बहुत भूमिका होती है। बहुत से लोग घर की गंदगी को घर के बाहर डाल देते हैं उन्हें घर की गंदगी का निष्पादन ठीक प्रकार से करना चाहिए। आत्मिक उन्नति के लिए सभी निवास स्थानों के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए।राष्ट्रपति जी की तरह हमें भी स्वच्छता पर पूरा जोर देना चाहिए। स्वच्छता में बाधक बनने वाले तत्वों को पहचान कर उनके प्रसार पर रोक लगानी चाहिए। स्वच्छता न होने के दुष्प्रभाव सभी समुदायों पर पड़ते हैं। ये सभी समुदाय बिमारियों के प्रकोप एवं खराब स्वास्थ्य के रूप में परिलक्षित होते हैं।देश और समाज को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखने के लिए अनेक साधन और उपाय हैं। स्वच्छता के लिए बहुत-सी सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा यह संचालित हैं और बहुत से संचालन व्यक्तिगत रूप से निजी स्तर पर होते हैं। जो नई सरकार आई है उसकी मुख्य प्राथमिकता भारत को स्वच्छ करने की है।अस्वच्छता से हानियाँ : जब लोग ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहाँ पर चारों तरफ कूड़ा-कचरा फैला होता है और नालियों में गंदा जल और सडती हुई वस्तुएं पड़ी रहती हैं जिसकी वजह से उस क्षेत्र में बहुत बदबू उत्पन्न हो जाती है, वहां से गुजरना भी बहुत मुश्किल हो जाता है ऐसे स्थानों पर लोग अनेक प्रकार की संक्रामक बिमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। वहां की गंदगी से जल, थल, वायु आदि पर बहुत ही विपरीत प्रभाव पड़ता है।अगर हम बाजार के मैले और अधिक कीटाणुयुक्त भोजन को खाते हैं तो हमारे शरीर में बहुत से रोग उत्पन्न हो जाते हैं। आधुनिक सभ्यता और हानिकारक उद्योगों के फैलाव की वजह से पूरी दुनिया में प्रदुषण का संकट खड़ा हो रहा है। भारतीय कहीं भी कूड़ा-कचरा फेंकने की आदत से मजबूर होते हैं और चारों ओर साफ-सफाई के लिए गंभीर नहीं होते है। अगर स्वच्छता नहीं रखी जाती है तो मनुष्य को बहुत जल्दी अनेक प्रकार के रोग हो जाते हैं।