वृक्षारोपण (Hindi Essay Writing)

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वृक्षारोपण


वर्ष 2030 तक विश्व की जनसंख्या के 8.3 अरब से अधिक हो जाने का अनुमान है, जिसके कारण उस समय भोजन एवं ऊर्जा की मांग 50% अधिक तथा स्वच्छ जल की मांग 30% अधिक हो जाएगी| भोजन, ऊर्जा एवं जल की इस बढ़ी हुई मांग के फलस्वरुप उत्पन्न संकट के दुष्परिणाम भी भयंकर हो सकते हैं| विश्व मे आई औद्योगिक क्रांति के बाद से ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू हो गया था, जो 19वीं एवं 20वीं शताब्दी में अपनी चरम सीमा को पार कर गया, कुपरिणामस्वरुप विश्व की जलवायु पर इस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा एवं प्रदूषण का स्तर इतना अधिक बढ़ गया की यह अनेक जानलेवा बीमारियों का कारक बन गया| इसलिए 20वीं शताब्दी में सयुंक्त राष्ट्र एवं अन्य वैश्विक संगठनों ने पर्यावरण की सुरक्षा की बात करनी शुरु की| पर्यावरण सुरक्षा के लिए वैश्विक संगठन द्वारा किए गए हर प्रयास में वृक्षारोपण पर विशेष जोर दिया जाता है| भारत सरकार भी विभिन्न राज्यों में वृक्षारोपण के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं पर कार्य कर रही है, इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के गैर सरकारी संगठन में वृक्षारोपण का कार्य करते हैं| वृक्षारोपण के कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने के लिए लोगों को वृक्षों से होने वाले लाभ से अवगत कराकर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना होगा| कुछ संस्थाएं तो वृक्षों को गोद लेने की परंपरा भी कायम कर रही है| शिक्षा के पाठ्यक्रम में वृक्षारोपण को भी प्राप्त स्थान देना होगा| पेड़ लगाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना होगा| यदि हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो एवं हम पर्यावरण की सुरक्षा के साथ सामंजस्य रखते हुए संतुलित विकास की ओर अग्रसर हो, तो इसके लिए हमें अनिवार्य रूप से वृक्षारोपण का सहारा लेना होगा| आज हम सब एके जॉन्स की तरह वृक्षारोपण का संकल्प लेने की आवश्यकता है जो कहते थे “मैं एक पेड़ लगा रहा हूं, जो मुझे अपनी गहरी जड़ों से सामर्थ्य एकत्र करने की शिक्षा देता है”| वृक्षारोपण की आवश्यकता निम्नलिखित बातों से भी स्पष्ट हो जाती है:- उद्योगीकरण के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हुई, फलस्वरूप विश्व की जलवायु में प्रतिकूल परिवर्तन हुआ| साथ ही समुद्र का जलस्तर उठ जाने के कारण आने वाले वर्षों में कई देशों एवं शहरों के समुद्र में जलमगन हो जाने की आशंका है|जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में निरंतर वृद्धि हो रही है| यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो परिणाम अत्यंत भयानक होंगे|एनवायर्नमेंटल डाटा (Environmental Data) सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, नागरिक एवं राष्ट्र की सुरक्षा, भोजन, ऊर्जा, पानी एवं जलवायु इन चार स्तंभों पर निर्भर है| ये चारों एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित है और ये सभी खतरों की सीमा को पार करने की कगार पर है| अपने आर्थिक या सामाजिक विकास के लिए मानव विश्व के संसाधनों का इतनी तीव्रता से दोहन कर रहा है कि पृथ्वी की जीवन को पोषित करने की क्षमता तेजी से कम होती जा रही है| यदि मैं जान जाऊं कि कल इस संसार का अंत हो जाएगा, तब भी मैं अपना सेब का पेड़ अवश्य लगाऊंगा किंग मार्टिन लूथर की गई यह बात न सिर्फ़ वृक्षों की उपयोगिता का बयान करती है, बल्कि पेड़-पौधों से उनके हार्दिक प्रेम को भी प्रदर्शित करती है| निसंदेह पेड़ पौधों के महत्व को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता है, क्योंकि ये हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है| तभी तो हमारे देश में पेड़ पौधों की भी पूजा की जाती है, संत कबीर ने इनके महत्व को इस प्रकार व्यक्त किया “वृक्ष कबहुं नहीं फल भखे, नदी न संचे नीर, परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर| पर्यावरणविद एवं वैज्ञानिक आजकल वृक्षारोपण पर अत्यधिक जोर दे रहे हैं| उनका कहना है कि पर्यावरण संतुलन एवं मानव की वास्तविक प्रगति के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है|

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