Skip to contentवायु प्रदूषण
वायु प्राणियों के जीवन का आधार होता है। वायुमंडल पर्यावरण का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मानव जीवन के लिए वायु का होना बहुत ही आवश्यक होता है। बिना वायु के मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से संसार के सामने वायु प्रदूषण की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है।वायु प्रदूषण दिन-प्रतिदिन भयानक रूप लेती जा रही है। पिछले कई सालों से हर नगर में कारखानों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है जिसकी वजह से वायुमंडल बहुत अधिक प्रभावित हुआ है। प्रदूषण की वजह से 2015 में 11 लाख लोगों की मौत हो गयी थी। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ पर्यावर्णीय हवा का होना बहुत जरूरी होता है। जब हवा की संरचना में परिवर्तन होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। वायु प्रदूषण का अर्थ : वायु प्रदूषण का अर्थ होता है वायु में अनावश्यक रूप से कुछ तत्वों के मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। जब किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ जैसे – रसायन, सूक्ष्म पदार्थ या फिर जैविक पदार्थ वातावरण में मिलते हैं तो वायु प्रदूषण होता है।जब वायु में धूल, धुआं, विषाक्त, गैस, रासायनिक वाष्पों, वैज्ञानिक प्रयोगों की वजह से आंतरिक संरचना प्रभावित हो जाती है अथार्त विजातीय पदार्थों की अधिकता होने पर जब वायु, मनुष्य और उसके पर्यावरण के लिए हानिकारक हो जाते हैं तो इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।वायु प्रदूषण का कारण : वायु प्रदूषण के इतना अधिक बढने का कारण उद्योगों का व्यापक प्रसार, धुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोगों के लिए ऊर्जा के स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन होना है। पर्यावरण की ताजी हवा दिन-प्रतिदिन विभिक्त, जैविक अणुओं, और कई प्रकार के हानिकारक सामग्री के मिलने की वजह से दूषित हो रही है।संसार की बढती हुयी जनसंख्या ने प्राकृतिक संसाधनों का अधिक प्रयोग किया है। औद्योगीकरण की वजह से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते जा रहे हैं। वाहनों और कारखानों से जो धुआं निकलता है उसमें सल्फर-डाई-आक्साइड की मात्रा होती है जो पहले सल्फाइड और बाद में सल्फ्यूरिक अम्ल में बदलकर बूंदों के रूप में वायु में रह जाती है।कुछ रासायनिक गैसे वायुमण्डल में पहुंचकर वहाँ के ओजोन मंडल से क्रिया करके उनकी मात्रा को कम कर देते हैं जिसकी वजह से भी वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। अगर वायुमंडल में लगातार कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनो-आक्साइड, नाईट्रोजन, आक्साइड, हाईड्रोकार्बन इसी तरह से मिलते रहंगे तो वायु प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर पहुंच जायेगा। वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कपड़ा बनाने के कारखाने, रासायनिक कारखाने, तेल शोधक कारखाने, चीनी बनाने के कारखाने, धातुकर्म और गत्ता बनाने वाले कारखाने, खाद और कीटनाशक कारखाने होते हैं। इन कारखानों से निकलने वाले कार्बन-डाई-आक्साइड, नाईट्रोजन, कार्बन-मोनो-आक्साइड, सल्फर, सीसा, बेरेलियम, जिंक, कैडमियम, पारा और धूल सीधे वायुमंडल में पहुंचते हैं जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।वायु प्रदूषण का एक कारण बढती हुयी जनसंख्या और लोगों का शहरों की तरफ आना भी है। लोगों के रहने के स्थान की व्यवस्था और आवास की व्यवस्था के लिए वृक्षों और वनों को लगातार काटा जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है। जब सार्वजनिक और व्यक्तिगत शौचालयों की समुचित सफाई नहीं होती है जिससे क्षेत्र विशेष में वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ जाता है।जब जानवरों की खाल को निकालकर उनके मृत शरीर को खुली जगह पर डाल दिया जाता है और उसके शरीर के सड़ने की वजह से बदबू वायु में फैलती है जिससे वायु प्रदूषण होता है। आणविक ऊर्जा, अंतरिक्ष यात्रा, परमाणु तकनीक के विकास की वजह से अथवा शोधकार्य के लिए किये जाने वाले विस्फोट या क्रिया से वातावरण को दूषित करती है।वायु प्रदूषण की संकेतात्मक प्रक्रिया : हमारी वायु में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बन-मोनों आक्साइड आदि बहुत सी गैसे विद्यमान होती हैं। वायुमंडल में इनकी मात्रा निश्चित होती है। धूम्र सूचकांक की सहायता से वायु को एक कागज के टेप पर गुजारते हैं और विद्युत् प्रकाशीय मापी से हम घनत्व का पता लगा सकते हैं।निलंबित और वायु में तैरते हुए पदार्थों की विधि से वातावरण में धूल और कालिख की मात्रा को नापा जा सकता है। वायु में पदार्थों की सहायता से वायु संरचना की स्थिति को ज्ञान किया जा सकता है। गैसों की मात्रा में अगर इनके अनुपात के संतुलन में कोई परिवर्तन होता है तो वायुमंडल अशुद्ध हो जाता है जिसकी वजह से वायु प्रदूषित हो जाती है।वायु प्रदूषण की समस्या या प्रभाव : वायु प्रदूषण के परिणाम बहुत ही घातक होते हैं क्योंकि वायु का सीधा संबंध पृथ्वी की जीवन प्रणाली से होता है। लोग अशुद्ध वायु को साँस के द्वारा अंदर लेकर अनेक तरह की बिमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। शहरों की स्थिति गांवों की अपेक्षा बहुत ही भयानक रूप ले चुकी है। इस प्रकार की दूषित वायु से स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं, बीमारी और मृत्यु का कारण हो सकती हैं।प्रदूषण पूरे पारिस्थितिक तंत्र को लगातार नष्ट करके पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन को बहुत ही प्रभावित किया है और अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका है। वायु में उपस्थित सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से दमा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। जब सल्फर-डाई-आक्साइड बूंदों के रूप में वर्षा के समय भूमि पर गिरती है तो उससे भूमि की अम्लता बढ़ जाती है और उत्पादन क्षमता घट जाती है।ओजोन मंडल सूर्य की हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करता है लेकिन जब ओजोन मंडल की कमी हो जाएगी तो त्वचा कैंसर की संभावना बढ़ जाएगी। वायु प्रदूषण के कारण लोगों की मृत्यु की संख्या में चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। वायु प्रदूषणों की वजह से भवनों, धातुओं, और स्मारकों का क्षय होता है।जब वायु में आक्सीजन की कमी हो जाएगी तो प्राणियों को साँस लेने में तकलीफ होगी। जब कारखानों से निकलने वाले पदार्थों का अवशोषण वृक्षों के द्वारा किया जायेगा तो प्राणियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव महानगरों पर पड़ता है।वायु प्रदूषण की वजह से मनुष्य को श्वसन, दमा, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, फेफड़े का कैंसर, खांसी, आँखों में जलन, गले में दर्द, निमोनिया, ह्रदय रोग, उल्टी, जुकाम जैसे रोगों का सामना करना पड़ता है। सल्फर-डाई-आक्साइड की वजह से एम्फायसीमा नामक रोग होने की संभावना होती है। वायु प्रदूषण का सबसे गहरा प्रभाव जीव-जंतुओं पर गंभीर रूप से पड़ता है। इसकी वजह से जीव-जंतुओं का श्वसन तंत्र और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।वायु प्रदूषण का समाधान : वायु प्रदूषण को कम करने के लिए बहुत जल्द ही कुछ कदम उठाने होंगे। हमें घरों, कारखानों, फैक्ट्रियों और वाहनों के धुएं को उनकी सीमा में रखना होगा और पटाखों के प्रयोग को कम करने के लिए कोशिश करनी होगी। कूड़े-कचरे को जलाने की जगह पर नियमित स्थान पर डालना होगा।वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सभी कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा। निजी वाहनों की संख्या को कम करना होगा। सार्वजनिक वाहनों की प्रणाली की समुचित सुविधाओं पर नियंत्रण करना होगा। प्रदूषण नियंत्रण संबंधी प्रमाण पत्र की अनिवार्यता और वायु कानून का पालन करना होगा।पर्यावरण के संरक्षण के लिए निजी संस्थानों को बाध्य करने पर नियंत्रित करना होगा। पैट्रोल, डीजल की जगह पर सौर, जल, गैस और विद्युत ऊर्जा से चलने वाले वाहनों का आविष्कार और उत्पादन करना होगा। सीसा रहित पेट्रोल के प्रयोग पर नियंत्रण करना होगा। वाहनों के दुरूपयोग पर नियंत्रण करना होगा। जंगलों की कटाई को हितोत्साहित करना होगा।वायु प्रदूषण की रोकथाम : वायु से दूषित करने वाले तत्वों को हटाकर वायु को दूषित होने से बचाया जा सकता है। हम वन संरक्षण और वृक्षारोपण से भी वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं। जलाऊ लकड़ी की जगह पर ऊर्जा के अन्य विकल्पों को ढूँढना चाहिए। कचरे का उपयुक्त विधि से निवारण करना चाहिए। सरकारी वनरोपण को प्रोत्साहन देना चाहिए। औद्योगिक संस्थानों को आवासी जगहों से दूर बसाना चाहिए। वाहन को चलाते समय मास्क या चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। सरकार को घर पर बैठकर काम करने वाली नीतियों का प्रयोग करना चाहिए। जितना हो सके उतना साइकिल का प्रयोग करना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण न हो।अपने घरों के आस-पास के पेड़ों की देखभाल और रक्षा करनी चाहिए। जब ज्यादा जरूरत न हो बिजली का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जहाँ पर आपको जरूरत है वहीं पर कूलर या पंखा चलाना चाहिए बाकि स्थानों का पंखा या कूलर बंद कर देना चाहिए। सूखे पत्तों को जलाने की जगह पर उनका खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए।अपनी गाड़ी का प्रदूषण हर तीन महीने में जाँच जरुर करवानी चाहिए। हमेशा सीसायुक्त पेट्रोल का प्रयोग करना चाहिए। बाहर की जगह पर घर में प्रदूषण का प्रभाव बहुत कम होता है इसी वजह से जब बाहर प्रदूषण अधिक हो जाये तो घरों के अंदर चले जाना चाहिए।उपसंहार: वायु प्रदूषण प्रमुख पर्यावर्णीय समस्याओं में से एक है जिस पर ध्यान देने के साथ ही सभी के सामूहिक प्रयासों से सुलझाने की जरूरत है। उपयोगितावाद के हाथों से प्राकृतिक साधनों का अँधा-धुंध दोहन हुआ है जिसकी वजह से वातावरण में लगातार प्रदूषण बढ़ता गया है। कहने को तो सभी प्रदूषण का प्रभाव हानिकारक होता है लेकिन वायु प्रदूषण का प्रभाव बहुत अधिक व्यापक होता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए हमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने होंगे।
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