राजमाता जीजाबाई का महान अद्भुत इतिहास | Jijabai in hindi
जीजाबाई का जीवन परिचय (Jijabai Biography in hindi) (Jayanti, History, Family, Age, Caste) (इतिहास, उम्र, परिवार, युद्ध, जयंती)
कहा जाता है किसी जननी ने अगर शूरवीर को जन्म दिया है तो जरुर वह जननी ख़ास होगी. शिवाजी जैसे शूरवीर को जन्म देने वाली जननी को ‘जीजाबाई’ के नाम से जाना जाता है. आज हम इस आर्टिकल में महान शूरवीर शिवाजी की माँ ‘जीजाबाई’ के जीवन के बारे में बताने जा हैं. यहाँ आप पढ़ेंगे की कैसे ‘जीजाबाई’ ने अपने जीवन में अनेक पड़ाव देखे और सब-कुछ खोने के बाद भी उन्होंने शिवाजी को इतना शौर्यवान कैसे बनाया. कैसे एक 17 साल का बच्चा बड़ी-बड़ी जंग का हिस्सा बन गया, आइये जानते है ‘जीजाबाई’ के जीवन के बारे में –
परिचय बिंदु | राजमाता जीजाबाई का परिचय |
नाम | जीजाबाई भोसले |
अन्य नाम | जीजाबाई,जिजाऊ (उनके बचपन का नाम) |
जन्म | 12 जनवरी 1598 ई. |
जन्मस्थान | बुलढाणा जिला, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 17 जून 1674 ई. |
मृत्यु स्थान | पछाड़ |
पिता का नाम | लखुजी जाधव |
माता का नाम | महालसाबाई |
उपाधि | शिवाजी महाराज की माँ |
योगदान | मराठा साम्राज्य स्थापित |
कुलदेवी | भवानी माँ |
वंश | यादव |
जीजाबाई का जीवन
जीजाबाई (जिजाऊ) का जन्म 12 जनवरी 1598 ई. में महाराष्ट्र के बुलढाणा में हुआ. इनके पिता लखुजी जाधव सिंदखेड नामक गाव के राजा हुआ करते थे. उन्होंने जीजाबाई का नाम उस वक्त ‘जिजाऊ’ रखा था. कहते हैं की जीजाबाई अपने पिता के पास बहुत कम रही और उनकी बहुत ही छोटी उम्र में शादी कर दी गई थी. उस वक्त बचपन में ही शादी करवा दी जाती थी.
जीजाबाई का विवाह
परिचय बिंदु | परिचय |
नाम | जीजाबाई |
पति का नाम | शाहजी भोसले |
जीजाबाई की मंगनी के वक्त उम्र | 6 वर्ष |
कहते है की जीजाबाई की मंगनी उसी वक्त तय हो गई थी उनकी उम्र जब 6 वर्ष थी. इसके साथ एक छोटा सा प्रसंग भी जुड़ा हुआ है. ‘इतिहास में लिखा है की होली का दिन था, लखुजी जाधव के घर उत्सव मनाया जा रहा था, उस वक्त मोलाजी अपने बच्चे के साथ जिसकी आयु भी करीब 7-8 वर्ष थी. उसके साथ इस उत्सव में सम्मलित हुए थे. नृत्य देखते हुए अचानक लखुजी जाधव ने जीजाबाई और मोलाजी के पुत्र शाहजी को एक साथ देखा और उनके मुख से निकला ‘वाह क्या ? जोड़ी है’. इसी बात को मोलाजी ने सुन लिया और बोले की फिर तो मंगनी पक्की होनी चाहिए.”
मोलाजी उस वक्त सुल्तान के यहाँ सेनापति थे और लखुजी जाधव राजा होने के बाद भी सुल्तान के कहने पर उन्होंने मोलाजी के पुत्र शाहजी भोसले से अपनी पुत्री जिजाऊ यानि जीजाबाई की शादी करवा दी.
परिचय बिंदु | परिचय |
पति का नाम | शाहजी |
बच्चे | 6 पुत्री, दो पुत्र |
पुत्र के नाम | शिवाजी महाराज , संभाजी |
जीजाबाई और शाहजी के विवाह के बाद जब वह बड़े हुए तब शाहजी बीजापुर दरबार में राजनयिक थे. बीजापुर के महराज ने शाहजी की मदद से अनेक युद्ध में विजय प्राप्त की, इसी ख़ुशी में बीजापुर के सुलतान ने उन्हें अनेक जागीर तोहफे में दी थी. उन्ही तोहफों में एक जागीर शिवनेरी का दुर्ग भी शामिल है. यहाँ जीजाबाई और उनके बच्चे रहा करते थे. जीजाबाई ने 6 पुत्री व दो पुत्रों को जन्म दिया था. उन्ही पुत्रों में से एक शिवाजी थे.
जीजाबाई शिवनेरी के दुर्ग में दिया शिवाजी को जन्म
शाहजी ने अपने बच्चों एंव जीजाबाई की रक्षा के लिए उन्हें शिवनेरी के दुर्ग में रखा, क्योंकि उस वक्त शाहजी को अनेक शत्रुओं का भय था. यहाँ शिवनेरी के दुर्ग में ही शिवाजी का जन्म हुआ और बताया जाता है की शिवाजी के जन्म के वक्त शाहजी जीजाबाई के पास नहीं थे. शिवाजी के जन्म के बाद शाहजी को मुस्तफाखाँ ने उन्हें बंदी बना लिया था. उसके 12 वर्ष बाद शाहजी और शिवाजी की भेंट हुई. इस बीच जीजाबाई और शाहजी का संपर्क दुबारा हुआ.
शाहजी की मृत्यु पर सती होने की कोशिश
शाहजी हमेशा अपने कार्यों में जीजाबाई की मदद लिया करते थे. जीजाबाई के बड़े पुत्र का नाम संभाजी था, बताया जाता है की संभाजी और शाहजी को अफजलखान के साथ हुए युद्ध में मारे गये थे. शाहजी की मृत्यु के बाद जीजाबाई ने पति के साथ सती होने की कोशिश की थी, पर शिवाजी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था. शिवाजी अपनी माँ को अपनी मित्र, मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत मानते थे. यही वजह है की शिवाजी बहुत कम उम्र में ही समाज एंव अपने कर्तव्यों को समझ गये थे. अपनी माँ की मार्गदिशा में उन्होंने हिन्दू साम्राज्य स्थापित करने की शुरुआत छोटी उम्र में ही कर दी थी.
मराठा साम्राज्य की शुरुआत
परिचय बिंदु | परिचय |
दुर्ग | शिवनेरी दुर्ग |
शिवाजी के जीवन में उनका महत्व | उन्हें पराक्रमी और शौर्यवान बनाने में योगदान |
मराठा सम्राज्य में उनका योगदान | शिवाजी को धर्म की अहमियत समझाना |
इतिहास को जितनी बार भी पढ़ा जाए तो मराठा साम्राज्य में अगर किसी का नाम सबसे पहले आता है तो वह है जीजाबाई और उनके पुत्र शिवाजी का. कहते है की शाहजी से अलग होने के बाद जीजाबाई ने शिवाजी को ऐसी शिक्षा दी कि उन्होंने मराठा साम्राज्य ही स्थापित कर दिया.
जीजाबाई बहुत ही चतुर और बुद्धिमानी महिला थी, उन्होंने मराठा साम्राज्य के लिए अनेक ऐसे फैसले लिए जिनकी वजह से स्वराज स्थापित हुआ. एक प्रसंग मिलता है कि राज्य में महिलाओं के साथ होते अत्यचार को देखते हुए जीजाबाई ‘माँ भवानी’ के मंदिर जाती है, माँ से पुकार करती है कि स्त्रियों की इन दुर्दशा को दूर करने के लिए कोई उपाय बतायें, तो माँ खुश होकर जीजाबाई को वरदान देती है की उनके पुत्र के द्वारा अबलाओं की लाज, एंव उनपर हो रहे अत्याचारों को रोका जाएगा.
यही वजह है कि शिवाजी हमेशा भवानी माँ को पूजते थे और अपनी माँ के द्वारा मिली शिक्षा का निर्वहन करते हुए माँ को हमेशा पूजते रहे. इतिहास में लिखा है कि शिवाजी महाराज के पास एक ऐसी तलवार थी जिसका नाम ‘भवानी’ था यह भी माँ भवानी के वरदान से प्राप्त की गई थी.
जीजाबाई ने मराठा सम्राज्य के लिए अपने पुत्र शिवाजी को ऐसी कहानियाँ सुनाई, जिनसे उन्हें अपने धर्म और अपने कर्म का ज्ञान हुआ एंव लोगों की रक्षा कैसे करनी है इसका भी ज्ञान हुआ. यही वजह है कि शिवाजी ने 17 वर्ष की आयु में मराठा सेना का निर्माण किया और अनेक पराक्रमियों से लोहा लिया और विजय प्राप्त की. एक समय ऐसा भी आया जब जीजाबाई को शिवनेरी का दुर्ग दोबारा मिल गया था.
जीजाबाई के संस्कारों से निर्मित हुए छत्रपति शिवाजी महाराज
अपने जीवन की सभी परेशानियों को भूलते हुए ‘जीजाबाई’ ने अपने पुत्र शिवाजी को ऐसी शिक्षा दी, ऐसे संस्कार दिए जिनकी वजह से उनके पुत्र ने अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना शुरू किया. उन्होंने अपने धर्म के लिए लड़ना शुरू किया. यही वजह है की शिवाजी को आज बड़े ही गौरव के साथ याद किया जाता है और उन्हें ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के नाम से संबोधित किया जाता है.
शिवाजी ने हिन्दू सम्राज्य स्थापित करने की शुरुआत की और उन्होंने अपने जीवनकाल में हिन्दू सम्राज्य को स्थापित करने में कामयाबी हासिल की और अनेक अत्याचारियों का वध किया. यह सब कुछ संभव हुआ था ‘जीजाबाई’ के संस्कारों, उनके द्वारा दी गई शिक्षा की वजह से.
जीजाबाई की मृत्यु
जीजाबाई पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने दक्षिण भारत में मराठा यानि हिंदुत्व की स्थापना में योगदान दिया था. उनकी मेहनत और उनके ही संस्कारों की वजह से शिवाजी ने मराठाओं के लिए हथियार उठाया और उन्होंने हिंदुत्व की स्थापना एक बार फिर से करने में सफलता हासिल की.
जीजाबाई की मृत्यु 17 जून 1674 ई. में हुई, शिवाजी ने इस समय तक मराठा साम्राज्य की स्थापना कर दी थी.
जीजाबाई के जीवन से जुड़ी अनसुनी बातें
हम जानते हैं की किसी का भी जीवन ऐसा नहीं होता जो एक ही शब्द में बता दिया जाए. हर एक इंसान के जीवन की एक ना एक कहानी जरुर होती है. जीजाबाई के जीवन में भी अनेक ऐसी कहानियाँ एंव ऐसे प्रसंग मौजूद है, जिन्हें बहुत कम सुनाया या पढाया जाता है. हम कुछ ऐसे ही प्रसंग उनके जीवन से जुड़े यहाँ लिख रहे हैं.
- जीजाबाई स्वंय ऐसी महिला थी जिन्हें उनकी दूरदर्शिता एंव युद्ध नीतियों के लिए याद किया जाता था.
- जीजाबाई ने हमेशा महिलाओं की रक्षा एंव मान-सम्मान को बचाने की बात की थी और अपने बेटों को सिखाई थी.
- जीजाबाई का दूसरा बेटा यानि शिवाजी के भाई संभाजी की हत्या अफजल खान ने की थी. जीजाबाई ने शिवाजी को उसका बदला लेने के लिए प्रेरित किया.
- शिवाजी खुद जीजाबाई से युद्ध नीतियाँ सिखा करते थे और उन्ही की प्रेरणा से उन्होंने अनेक जंग में जीत हासिल की थी.
- जीजाबाई का निधन शिवाजी महाराज के राज्यअभिषेक के 12 दिन बाद हुआ. उन्होंने अपने हिंदुत्व के सपने को साकार करने के बाद अपने प्राण त्यागे थे.
- जीजाबाई ने शिवाजी को बचपन में बाल राजा, महाभारत एंव रामायण की कहानियाँ सुनाकर उन्हें धर्म के प्रति प्रेरित किया था.
छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन में जीजाबाई का अहम योगदान रहा है. यही वजह है की शिवाजी को याद करने से पहले उनकी माता ‘जीजाबाई’ को याद किया जाता है. उन्ही के द्वारा बनाई गई नीतियों के अनुसार शिवाजी ने अनेक युद्ध में विजय प्राप्त की और वह मराठा साम्राज्य स्थापित करने में सफल हुए. शिवाजी ने हमेशा अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ ‘जीजाबाई’ को दिया है. इतिहास में जीजाबाई के इस योगदान को हिन्दुस्तान कभी भुला नहीं पायेगा.
जीजाबाई के जीवन पर बनाई गई फिल्म एवं सीरियल –
जीजाबाई के जीवन पर अनेक सीरियल एंव फ़िल्में बन चुकी है. यहाँ तक की शिवाजी पर बने सीरियल एंव फिल्मों में भी इनके जीवन पर प्रकाश डाला गया है. हम यहाँ पर शिवाजी और जीजाबाई के जीवन पर बने सीरियल और फिल्मों के नाम बता रहे हैं. क्योंकि इन सभी में जीजाबाई का जीवन दिखाया गया है.
जीजाबाई के जीवन अधारती | सीरियल एंव फ़िल्में |
फिल्म | राजमाता जिजाऊ |
सीरियल | भारतवर्ष |
फिल्म | बाल शिवाजी |
फिल्म | छत्रपति शिवाजी महाराज |
फिल्म | कल्याण खजाना |
फिल्म | सिंहगढ़ |