घर परिवार की तरह कोई जगह नहीं होती है। घर परिवार का अर्थ स्नेह और प्यार से संबंध होता है। मेरा परिवार एक बड़ा और संयुक्त परिवार होने के साथ-साथ एक खुशहाल परिवार भी है। मेरा पूरा परिवार काशी में रहता है। मेरे परिवार में कई सदस्य हैं जैसे – दादा-दादी, ताईजी-ताऊ जी, माता-पिता, चाचा-चाची, बहन-भाई और मेरे भतीजे-भतीजी भी हैं। मेरा परिवार एक बड़ा ही मूल परिवार है जिसमें एक तो सभी के दादा-दादी और तीन अभिभावक और उनके बच्चे हैं। संयुक्त परिवार के फायदे भी होते हैं लेकिन साथ ही कुछ नुकसान भी होते हैं।मकान और घर में अंतर : मकान और घर में बहुत अंतर होता है। मकान केवल ईंट, रेत, सीमेंट, पत्थरों से बनाया हुआ एक बेजान ढाँचा होता है। इसके विपरीत घर एक ऐसी जगह होता है जिसमें सुमधुर संबंधों से संबंधित आत्मा होती हैं। बहुत से लोग तो ईंट और गारों से बने हुए घरों में रहते हैं। जो लोग मकान में रहते हैं उनके पास घर परिवार नहीं होते हैं इसमें रहने वाले सदस्यों के बीच कोई प्यार या लगाव नहीं होता है। मेरे परिवार का परिचय : मेरे घर में दादा-दादी, माता-पिता, चाचा-चाची, मेरे भाई-बहन हैं। मेरे दादा जी एक सरकारी अधिकारी थे और अब वे एक सेनानिवृत पेंशनभोगी व्यक्ति हैं। मेरी दादी जी एक गायिका थीं जो अब इस समय एक धार्मिक महिला हैं। मेरे पिता जी एक पुलिस अधिकारी हैं और मेरी माँ एक वकील हैं। मेरे चाचा जी और चाची जी हमसे बहुत प्यार करते हैं। मैं 8 वीं कक्षा में पढ़ता हूँ और मेरी बहन पांचवीं कक्षा में पढ़ती है और मेरा छोटा भाई तीसरी कक्षा में पढ़ता है।परिवार क्या है : जब एक घर में एक साथ दो या अधिक सदस्य रहते हैं उन सदस्यों के समूह को परिवार कहते हैं। पति, पत्नी और बच्चों के समूह को ही परिवार कहा जाता है।परिवार के प्रकार : परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर परिवार को देखा जाता है। अगर परिवार में कम सदस्य होते हैं तो छोटा परिवार कहलाता है। परिवार और भी होते हैं जैसे मूल परिवार, बड़ा मूल परिवार और संयुक्त परिवार आदि।परिवार की आवश्यकता : परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई होती है। माता-पिता और उनके बच्चों को मिलाकर एक परिवार बनता है। एक परिवार का जीवन में बहुत महत्व होता है। एक बच्चा अपने परिवार की छत्र-छाया में रहकर ही बड़ा होता है। वे प्यार के महत्व को समझकर रिश्तों में बंधता है।जहाँ पर रिश्ते बच्चे को खुशी प्रदान करते हैं वहीं पर जिम्मेदारी का भी एहसास दिलाते हैं। परिवार ही बच्चे को सामाजिक बनाता है। परिवार के साथ रहकर मैं दुःख के समय को भी आसानी से पार कर लेता हूँ। मेरे परिवार से एक सुरक्षित और प्यारा वातावरण उत्पन्न होता है। मैं अपने परिवार को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ। जब भी मैं घर परिवार से दूर रहता हूँ तो मुझे अपने परिवार की कमी बहुत खलती है। क्योंकि यही समय होता है जब हम अपने परिवार के महत्व को समझ पाते हैं। हमारी दादी जी हमें बहुत ही अच्छी-अच्छी कहानियां सुनाती हैं। मेरे और मेरी बहन के बीच अगाध प्रेम और स्नेह की भावना है।हमारे दादा-दादी हमें हमेशा अच्छी बातें बताते हैं और हम सभी दादा-दादी की बात को बहुत ही ध्यान से सुनते है। हमारे दादा-दादी हमें हमेशा सत्य और धर्म को ग्रहण करने की प्रेरणा देते हैं। हमारे घर का प्रत्येक सदस्य भावनात्मक और शारीरिक रूप से शक्तिशाली, ईमानदार और आत्मविश्वासी बना है।मेरे संयुक्त परिवार के लाभ : संयुक्त परिवार जीने का एक बेहतर तरीका देता है जिसमें विकास के लिए अत्यधिक योगदान दिया जाता है। संयुक्त परिवार से न्यायसंगत अर्थव्यवस्था के अनुसरण के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण अनुशासन और दूसरों के बोझ को बाँटने की भावना सिखाता है। मेरा परिवार संयुक्त है इसमें सदस्यों में आपसी सामंजस्य की समझ भी है।एक बड़े और संयुक्त परिवार की वजह से बच्चों को एक अच्छा माहौल मिलता है तथा हमेशा के लिए अपनी आयु के बच्चों के मित्र मिलते हैं जिसकी वजह से आने वाली पीढ़ी बिना किसी रुकावट के पढाई , खेल और दूसरी क्रियाओं में अच्छी सफलता प्राप्त कर पाती हैं।हम बच्चे संयुक्त परिवार में रहते हैं हम हमेशा सोहार्द रहते हैं हममें किसी भी तरह का भेद-भाव नहीं रहता है। परिवार के मुखिया की बात को मानने के साथ-साथ हर सदस्य जिम्मेदार और अनुशासित होते हैं। मेरे घर परिवार में एक दूसरे के ख्याल की भावना बढती है और आपस में भी स्नेह संबंधों का विकास होता है।हमारे घर-परिवार में सभी भावना हैं। मेरे इस संयुक्त परिवार में बडो और बुजुर्गों का बहुत सम्मान किया जाता है। बड़ों की हर बात का पालन किया जाता है और उनकी बात का कोई भी बुरा नहीं मानता है। घर के सभी लोग सारे काम को एक साथ मिलकर करते हैं और भोजन भी एक साथ करते हैं। अगर घर में कोई मुसीबत आती है तो घर के सभी लोग मुसीबत का मिलकर सामना करते हैं। मेरा परिवार चाहे कहीं भी रहे हमेशा साथ रहता है।संयुक्त परिवार की हानियाँ : संयुक्त परिवार में उचित नियमों की कमी होने की वजह से बहुत से सदस्य कामचोर हो जाते हैं। उन लोगों को दूसरों की कमाई पर निर्भर रहने की आदत पड़ जाती है। ऐसे सदस्य दुसरे भोले और अच्छे सदस्यों का शोषण करना शुरू कर देता है। खास तौर पर देखा जाता है कि जो सदस्य ज्यादा धन कमाते हैं वो कम धन कमाने वाले सदस्यों का अपमान करते हैं।जो सदस्य ज्यादा आय वाले होते हैं वो अपने बच्चों को बड़े और महंगे स्कूल में पढ़ाते हैं लेकिन अपने से कम आय कमाने वाले सदस्य के बच्चों के बोझ को कभी नहीं बांटते हैं जिसकी वजह से बच्चों के बीच भेदभाव की भावना उत्पन्न हो जाती है। उदारता की भावना , भातृतुल्य प्यार और अकेलेपन का अहसास इन सब के असंतुलन की वजह से संयुक्त परिवार के अलग होने की संभावना भी उत्पन्न हो जाती है।उपसंहार : मेरा परिवार सभी तरह से खुशहाल है और हमारी इस खुशहाली का कारण है हमारे परिवार का अनुशासन , पारिवारिक स्नेह और मर्यादा का पालन है। मैं अपने परिवार के लिए हमेशा गौरव और संतोष की भावना को अनुभव करता हूँ।एक-दुसरे के प्रति सहानुभूति की भावना ही परिवार की एक ठोस नींव को रखे हुए है। जिस परिवार में एकता की भावना होती है सिर्फ उसी घर में ही सुख-शांति का निवास होता है। एकता की भावना होने की वजह से मेरे परिवार को कोई भी बुरी दृष्टि से देखने की हिम्मत नहीं करता है।