प्रस्तावनाबाढ़ तब होती है जब एक विशेष सूखे क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा के कारण ज़मीन पर बहने वाले पानी की मात्रा बढ़ जाती है। नदी, महासागर और झील जैसे जल निकायों से पानी के अतिप्रवाह के कारण यह भी हो सकता है। बाढ़ जन विनाश के कारण जानी जाती है। कुछ क्षेत्रों में विनाश का कारण इतना गंभीर है कि नुकसान की मरम्मत के लिए कई साल लगते हैं।बाढ़ के कारणबाढ़ के विभिन्न कारणों पर एक नजर इस प्रकार है: भारी बारिशबाढ़ की स्थिति ख़राब जल निकासी प्रणाली के कारण हो सकती है। कई बार थोड़ी अवधि की भारी बारिश भी बाढ़ का कारण बन सकती है जबकि दूसरी तरफ कई दिनों तक चलने वाली हल्की बारिश भी बाढ़ जैसी स्थिति बना सकती है। बर्फ का पिघलनासर्दियों के मौसम के दौरान जो पहाड़ बर्फ से ढंके होते है उनका पिघलना शुरू हो जाता है क्योंकि तापमान बढ़ जाता है। बर्फ का अचानक पिघलना तापमान बढ़ने के कारण होता है और इसके परिणामस्वरूप मैदानी इलाकों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। जिन क्षेत्रों में अत्यधिक पानी की मात्रा है वहां उचित जल निकासी प्रणाली नहीं होने के कारण बाढ़ की स्थिति बन जाती है। इसे प्रायः बर्फ से पिघलने वाली बाढ़ के रूप में जाना जाता है। बाँध का टूटनाऊंचाई से पानी बहने के लिए बांधों को बनाया जाता है। पानी से बिजली बनाने के लिए प्रोपेल्लर्स का इस्तेमाल किया जाता है। कई बार बाँध टूट जाते हैं क्योंकि वे बड़ी मात्रा में पानी नहीं पकड़ पाते जिसके फलस्वरूप आसपास के इलाकों में बाढ़ आ जाती है। कभी-कभी अत्यधिक जल बांध से जानबूझकर जारी किया जाता है ताकि इसे टूटने से रोका जा सके। इसका परिणाम बाढ़ भी हो सकता है। जल निकायों का अतिप्रवाहजल निकायों जैसे नदियाँ आदि से पानी बार-बार बह निकलने से आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। नदियों के नजदीक निचले इलाके इस समय के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि जल नदी से नीचे की ओर बहता है। तटीय क्षेत्र में हवाएंमजबूत हवाओं और तूफानों में समुद्र के पानी को सूखे तटीय इलाकों में ले जाने की क्षमता होती है जो की बाढ़ का कारण बनता है। इससे तटीय क्षेत्रों में गंभीर क्षति हो सकती है। तूफान और सुनामियों को तटीय भूमि में बड़ी तबाही का कारण जाना जाता है।ग्लोबल वार्मिंग: बाढ़ का मुख्य कारणहाल के दिनों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ी है। ऐसा कहा जाता है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते औसत समुद्री तापमान में काफी बढ़ोतरी हुई है और इससे कैरिबियन में उष्णकटिबंधीय तूफान की बढ़ती दर और कठोरता में वृद्धि हुई है। ये तूफान उनके रास्ते में देशों में भारी बारिश का कारण है। ग्लोबल वार्मिंग, जो वायुमंडल के तापमान में वृद्धि पैदा कर रहा है, ग्लेशियरों और बर्फ के पिघलने का भी एक कारण है जो फिर से कई क्षेत्रों में बाढ़ का कारण है। कहा जाता है कि आने वाले समय में ध्रुवीय बर्फ पर फिर से बुरा प्रभाव पड़ेगा जिससे स्थिति खराब होने की संभावना है।पृथ्वी पर समग्र जलवायु परिस्थितियों में एक बड़ा परिवर्तन आया है और ग्लोबल वार्मिंग को इस परिवर्तन का कारण माना जाता है। जहाँ कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक बाढ़ का अनुभव होता है वहीँ अन्य लोग सूखे का अनुभव करते हैं।निष्कर्षयद्यपि हम बारिश या ग्लेशियरों को पिघलने से नहीं रोक सकते पर हम निश्चित रूप से बाढ़ के पानी से निपटने के लिए अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं। सालभर कई देशों में जैसे सिंगापुर के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा होती है पर वहां अच्छी जल निकासी प्रणाली है। भारी बारिश के दिनों में भी वहां समस्या नहीं होती। बाढ़ की समस्या और प्रभावित क्षेत्रों में होने वाली क्षति से बचने के लिए भारत सरकार को भी अच्छी जल निकासी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए।