बाल श्रम की परिभाषा- सामान्यतः बाल श्रमिक उन बच्चांे को कहा जाता है जिनकी आयु 14 वर्ष से कम हो तथा जो संगठित एवं असंगठित क्षेत्र में रोजगार पर लग जाने के कारण शाररीक, मानसिक विकास में पिछड जाते हैं।बाल श्रम समस्या कैसे?- आज भारत में बाल श्रम एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। बालश्रम करने वाले बच्चों की संख्या करोडों के आस-पास है। ये ठीक से पढ़-लिख न जाने के कारण देश की प्रगति में कोई विशेष योगदान नहीं कर पाते।बाल श्रम के कारणबाल श्रम के कारणों का सिंहावलोकन करने पर यह ज्ञात हुआ है कि जातिवाद, गरीबी, परिवार का आकार, शिक्षा का स्तर, आय आदि श्रमिक समस्या को गम्भीर समस्या के रूप में प्रकट करने के लिए उत्तरदायी है।बाल श्रम रोकने के प्रयासबाल श्रम को रोकने के लिए सरकार द्वारा हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है। सरकार ने वर्ष 1987 में ‘राष्ट्रीय बाल श्रम‘ की नीति बनाई। इस नीति में एक विधायी योजना बालकों का लाभान्वित करने के लिए तैयार की गई।सरकार के अतिरिक्त सरकारी व गैर सरकारी संगठनों, मीडिया तथा समाज भी जनता को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयत्न कर रहे हैं।बल श्रम पुनर्वास के लिए विधालयों एवं पुनर्वास की व्यवस्था की गयी है। यहां पर बच्चों में शिक्षा की भावना जाग्रत करने के लिए कम फीस ली जाती है तथा कहीं पर सरकार की ओर से ऐसे स्कूल एवं काॅलेजों की स्थापना की गयी है जिसमें गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है।ऐसे स्कूलों में बच्चों को छात्रवृति भी प्रदान की जाती है जिसके द्वारा वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर जीवन में तरक्की पाते हैं और अपने देश का नाम रोशन करतें है।समस्या का निदान नहीं- परन्तु फिर भी देश के अनेक गांव एवं शहर ऐसे हैं जहां पर इस प्रकार की व्यवस्था नहीं है और आज भी बच्चों द्वारा कठोर परिश्रम किया जाता है। आज कोई बच्चा फलों का ठेला लगाकर फल बेच रहा है, कोई सब्जी बेच रहा है, कोई कारखाने में काम कर रहा है, कोई बूट-पाॅलिस कर रहा है, कोई गाडी साफ कर रहा है तथा कोई चाय के बर्तन साफ कर रहा है।जो बच्चे हमारे देश का भविष्य है, जो हमारे देश को उन्नति प्रदान करने तथा देश का नाम रोशन करने में सहायक है वो आज इस प्रकार का काम कर रहे हैं, यह हमारे व हमारे देश के लिए कितने शर्म की बात है।छूटकारा कैसे मिले?- इस गहन समस्या से छुटकारा पाने के लिए सरकार के साथ-साथ गैर सरकारी संगठानों एवं मीडिया को केवल योजनाये नहीं बनानी होंगी बल्कि उन योजनाओं के अनुरूम कार्य भी करना होगा।विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाल श्रमिकों की संख्या अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है। पश्चिम बंगाल में बच्चों की तस्करी का धंधा खूब जोरों पर चल रहा है। कार्यस्थल की अच्छी परिस्थ्तियां न होने व जोखिमभरे कार्याें में संलग्नता होने के कारण बाल श्रमिक स्थायी रूप से अस्वस्थ हो रहे है।इस प्रकार बाल श्रम एक अत्यन्त दुःखद एवं दुष्परिणाम भरी समस्या है जिसके लिए एक बहुआयामी कार्यनीति के माध्यम से वर्तमान से लेकर भविष्य तक सतत् प्रयास किये जाने चाहियें।बाल श्रम एक ऐसी बुराई है जिसके लिए समाज के सभी वर्गों में जागरूकता पैदा करनी होगी तथा उनकी सोच बदलनी होगी।बाल श्रम को रोकने के लिए ग्रमीण एवं शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा, बाल श्रम कनूनों में बदलाव, बाल श्रम का पुनर्वास तथा गरीबी रेखा को समाप्त करना होगा।उपसंहार- बल श्रमिकों से काम लेने वाले व्यक्तियों के खिलाफ भी कठोर दण्ड की व्यवस्था की जानी चाहिये क्योंकि इनमें से कुछ व्यक्ति बालको को अच्छाई के रास्ते पर न ले जाकर उनसे चोरी, डकैती, लूटपात तथा भीख मंगवाने का कार्य भी करवाते है।इस प्रकार की योजनाओं के अनुरूप कार्य करने पर ही बाल श्रम की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। आज देश के करोडों बाल श्रमिकों की आंखे उस दिन की प्रतिक्षा कर रही है, जब उनके उजले सपने सच होंगे।बाल श्रम की बुराई के रूप में ही देखा जाना चाहिये क्योंकि यह एक प्रकार से इन्सान द्वारा इन्सान के शोषण का भी कार्य है। बच्चों की जो उम्र खेलने-कूदने, पढने-लिखने अपना मानसिक और शारीरिक विकास की होती है, उस उम्र में कठिन परिश्रमभरे कार्य वे भी पैसा कमाने की जरूरत के लिए करते हैं तो उससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास रूक जाता है। इसे कठोर कनून बनाना तथा सामाजिक चेतना जगाकर ही खत्म किया जा सकता है। समाज में सुधारकों को देखना चाहिये कि जो परिवार इतने गरीब हैं कि बच्चों के श्रम पर ही उनका चूल्हा जलता है, ऐसे परिवारों की आर्थिक सहायता कर और कराकर, उनके बच्चों को पढाई के रास्ते पर डालना चाहिये।