पेशे का चयन बदलने के कारण- पेशे के बदलने या चयन करने के कुछ के कारण मजबूरी है तो कुछ शौक और महत्तवाकांक्षा। मजबूरी वहां नजर आती है जहां किसान की जमीन का बेटों के बीच बंटवारा होने से हिस्से में कम जमीन अभी शुरू हुई जिस पर परिवार का गुजारा होना मुश्किल नजर आने लगता है। गांवों से किसान के बेटों ने शहरों का रूख किया और नये पेशे के चयन की बात सोची। इसी तरह दस्तकारी के क्षेत्र में -कुम्हारगीरी, लोहारगीरी, चर्म दात्तकारी या ऐसे ही अन्य क्षेत्र में पुरानापन आने से आय के स्त्रोत घटे तो परिवार के युवा सदस्यों में नये पेशे की ओर रूख किया। नौकरी पेशा लोगों के पुत्रों-पुत्रियों ने नौकरी पाना दुर्लभ देख टेक्नीकल एजुकेशन से सम्बद्ध पेशे का चयन करना आरम्भ कर दिया। इस तरह से धीरे-धीरे पेशा चयन में बदलाव नजर आने लगा। पेशे का चयन कैसे करें ?- अब वह जमीन बहुत पीछे छूट चुका है जबकि पढाई-लिखाई का मकसद सिर्फ नौकरी पना समझा जाता थ। उस जमाने में अग्रेजों ने जो शिक्षा नीति बनाई थी उसमें भारतीयों को क्लर्क बनाना मुख्य उद्देश्य था। क्लर्क न बन जाने की अवस्था में नौजवान पुलिस और सेना की नौकरी में जाना पसन्द करते थे। उस जमाने में पढे-लिखे लोग कम मिलते थे, इसलिए पढ- लिखकर स्कूल-काॅलेज से निकलने वाले हर नौजवान को नौकरी मिल जाती थी। उस जमाने में पेशे के चयन का एक मात्र आधार था अंग्रेज सरकार की नौकरी करना। देश आजाद हुआ। शिक्षा का मूलभूत ढांचा बदला। शिक्षा नीतियों में सुधार हुआ। स्कूली शिक्षा के साथ दस्तकारियां जोडी गयीं। उस समय सरकार की जो नीति बनी वह यह थी कि हर किसीको शिक्षित बनाया जाये। अधिक लोग शिक्षित होते गये-नौकरियां कम पडने लगीं तो शिक्षा के साथ दस्तकारी का सीखा होना नौजवानों के काम आने लगा। लेकिन दुनिया की बदलती तेजी के साथ छोटे, लघु उद्योगों व दस्तकरी पर बडे उद्योगों की मार पडी। बडे उद्योग और उद्योगतियों से प्रतिद्वन्द्विता में आगे न निकल पाने के कारण छोटे और लघु उद्योगों तथा दस्तकारों का रोजगार ठप्प पडने लगा। तब नौजवानों में इस बात की चेतना जागी कि वे अपनी रूचि के अनुसार रोजगार का चयन करें। कुछ समय टाइपिंग, शार्ट हैण्ड सीखने का जोर रहा। फिर कम्प्यूटर युग आया। कम्प्यूटर युग में इलैक्ट्रानिक और संचार साधनों का पूरे देश में जाल बिछाया। नौजवानों ने नये-नये क्षेत्र में पैर जमाकर नये-नये पेशे या रोजगार अपनाना आरम्भ किया। आज कैरियर के बाबत जानकारी, सुझाव, गाइड लाइन्स देने वाले संस्थानों के बाजार बडे शहरों में सज गये। पेशे के चयन की जानकारियां देकर नौजवानों को नये-नये क्षेत्र में उतारने का कार्य कुछ फीस लेकर ये सस्थायें कर रही हैं। पेशे के चयन में सावधानी बरतें-पेशा या रोजगार चयन करने के लिए नौजवानों को अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है। पेशा या रोजगार को बदलने की आवश्यकता हो तो बहुत मजबूरी हालात में ही बदलें और खुब सोच-समझकर ही बदलें। क्योंकि किसी एक प्रोफेसन में दो-चार या पांच साल लगा दिये जायें तत्पश्चात् नया पेशा अपनाया जाये तो श्रम लगाने वाले समय और धन की बर्बादी होती है। पढे-लिखे नौजवानों को अपनी रूचि की परख सर्वप्रथम करनी चाहिये। रूचि की परख के बाद ही सोच-समझकर रोजगार का चयन करना चाहिये। इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी निगाह रखनी चाहिये। इन्जीनियंरिंग, डॅाक्टरी, एम0 बी0 ए0, बी0बी0ए0 क्षेत्र में सर्विस और स्वतन्त्रता पेशा अपनाने में स्कोप आज भी है, पर आज उससे कहीं अधिक अच्छेे स्कोप वाले रोतगार के साधन समाज में बिछे पडे हैं। जरूरत है रूचि को परखने की परिवार की आर्थिक स्थिति को निगाह में रखने की तथा जमाने की बदलती रफ्तर तरक्की के कारण सामने आ रहे नये-नये रोजगार के बाबत जानकारियां एकत्र करने की। उपसंहार-प्रतियोगिता और होड के इस दौर में रोजगार के चयन के लिए आवश्यक है कि आधुनिक संसाधनों से जुडे रहे। इण्टरनेट पर उपलब्ध रोजगार सम्बन्धित नई से नई जानकारियों को एकत्र करे। रोजगार समाचार-पत्र तथा अन्य राष्ट्रीय समाचार में प्रकाशित पेशे और रोजगार के काॅलमों को देखते रहें। अपनी रूचि और सामथ्र्य का पेशा अपनाइए और जमाने की तरक्की के साथ खुद को शमिल कर लीजिए।