रामचरित मानस संसार के प्रसिद्ध पवित्र गर्न्थों मैं से एक है और मुझे यह ग्रन्थ बहुत अच्छा लगता है I इसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा था | यह ग्रन्थ अदभुत और अदुतीय है |आम जनता इसे रामायण भी कहती है | इस ग्रन्थ में स्थान-स्थान पर तुलसीदास जी के सहज नाटकीय रचना-कौशल और सूझ-बुझ के दर्शन होते हैं | रामचरितमानस का आरम्भ भी संवादों से होता है और अंत भी संवादों से होता है | कथा के आधारभुत तीन संवाद हैं- उमा-शंभु संवाद, गरुड़-काकभुशुण्डि संवाद और याज्ञवल्क्य-भारद्वाज संवाद |संवादों के माध्यम से रामचरितमानस की कथा अन्यन्त रोचक, ज्ञानवर्धक एवं जीवनोपयोगी बन गयी है | रामवनवास, भरतमिलाप, सीताहरण, शबरीप्रसंग, लक्ष्मनमूर्छा आदि मार्मिक प्रसंग हैं | रामचरितमानस हिन्दी का ही नहीं पुरे विश्व-साहित्य का गौरव ग्रन्थ है | रामचरितमानस मैं सात काण्ड हैं-बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड |काव्यात्मक सौंदर्य की दृष्टि से यह अनुपम ग्रन्थ है | रामचरितमानस में मुख्यतः श्रृंगार, वीर और शांत रसों का समावेश है | इस ग्रन्थ को पढ़ने से बहुत अच्छी बातें और अच्छे गुण मिलते हैं | इसमें ज्ञान, भक्ति, शैव, वैष्णव, गृहस्थ और सन्यास का पूर्ण समन्वय मिलता है |