ग्रामीण जीवन
भारत गांवों का देश है । भारत की आधी से अधिक जनता गांवों में रहती है । गांधी जी ने कहा था- ‘असली भारत गांवों में बसता है’ । भारतीय ग्राम्य-जीवन सादगी और प्राकृतिक शोभा का भण्डार है ।अधिकांश ग्रामवासी किसान होते हैं । कठोर परिश्रम, सरल स्वभाव और उदार हृदय उनकी विशेषताएं हैं । सुबह जब किसान अपने खेतों में हल चलाता है, तो पक्षी उसके बैलों की गति के साथ श्रम की महिमा का संगीत छेड़ देते हैं । किसान स्वभाव से निश्छल होते हैं । सबके पेट भरकर और तन ढककर भी स्वयं रुखा सुखा खा लेते हैं ।गांव की प्राकृतिक छटा मन मोह लेती है । दूर-दूर तक लहलहाते हुए हरे-भरे खेत और चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल और उनकी फैली हुयी खुशबु मदहोश कर देती है । चारों तरफ चहचहाते हुए पक्षी मन मोह लेते हैं । सादगी और प्राकृतिक शोभा के भण्डार इन भारतीय गांवों कि भी अपनी कथा है ।मध्यकाल में क्रूर जमींदारों और विदेशियों ने भोलेभाले ग्रामीण लोगों का जीवन नरक बना दिया था । सभी इनका शोषण करते थे । आजादी के बाद ग्रामीणों की दशा में कुछ सुधार हुआ । सरकार की तरफ से भी काफी योजनायें चलाई गई । आज भी भारत के बहुत से गांव उपेक्षित हैं । इसके लिए सरकार को अच्छे कदम उठाने की जरूरत है । तभी गांव का जीवन और अच्छा बन सकेगा ।