ईद पर निबंध-Essay On Eid In Hindi
ईद पर निबंध-Essay On Eid In Hindi
भूमिका : विश्व में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ पर अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। ईद को मुसलमानों का बहुत बड़ा त्यौहार माना जाता है। ईद को दुनियाभर में बड़े ही उल्लास और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। सभी लोग ईद का महीनों से इंतजार करते हैं।
कोई भी गरीब हो या अमीर सभी लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार नए कपड़े पहनते हैं और इन्हीं नए कपड़ों को पहनकर ही ईद की नमाज को पढने के लिए ईद गाह पर जाते हैं। प्रत्येक घर में मीठी-मीठी सिवईयाँ बनती है जिन्हें वे खुद खाते हैं और अपने मित्रों को तथा संबंधियों को भी खिलाते हैं।
ईद के त्यौहार के आने से 20 दिन पहले ही दुकाने सिवईयों से लद जाती हैं। ईदुल फितर कत्युहार रमजान के महीने की तपस्या , त्याग और वृत के बाद आता है।ईदुल फितर के दिन चारों तरफ ख़ुशी और मुस्कान छाई रहती है। प्रत्येक व्यक्ति ईद मनाकर खुद को सौभाग्यशाली समझता है।
पृष्ठभूमि : ईद का पूरा नाम ईदुल फितर होता है। ईदुल फितर में फितर शब्द फारसी भाषा का शब्द होता है जिसका अर्थ होता है अदा करना। इसे नमाज पढने से पहले अदा किया जाता है। दूसरी ईद को ईदुल्जुहा या बकरीद कहा जाता है। पैगम्बर हजरत मुहंमद ने बद्र के युद्ध में सफलता हासिल की थी जिसकी ख़ुशी से यह त्यौहार मनाया जाता है।
ईदुल फितर का त्यौहार हमेशा रमजान के महीने के बाद ही आता है। रमजान के पूरे महीने वृत करना पड़ता है। प्रत्येक स्वस्थ मुसलमान रोजा रखता है। इस दिन न तो कुछ खता है और न ही कुछ पीता है। जब उन्तीसवीं और तीसवीं रमजान होती है तभी से चाँद कब होगा जैसी आवाजें चारों तरफ से आने लगती हैं।
ऐसा माना जाता है कि जिस संध्या को शुक्ल पक्ष का चाँद दिखाई देता है उसके अगले दिन ही ईदुल फितर का त्यौहार बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। ईदुल अजाह के दिन हाजी हजरात का हज पूरा होता है और पूरे संसार के लोग क़ुरबानी देते हैं।
शरीयत के अनुसार हर उस औरत और आदमी को क़ुरबानी देने का अधिकार होता है जिसके पास 13 हजार रुपए होते हैं। रमजान का महीना मुसलमान लोगों में बहुत महत्व रखता है। उनकी नजर में यह आत्मा को शुद्ध करने का महिना होता है।
चन्द्रदर्शन :- कभी कभी जब चन्द्रोदय का समय होता है तभी पश्चिमी आकाश के बादल आ जाते हैं तब अटारियों पर चन्द्र दर्शन के लिए चढने वाले लोगों को बड़ी निराशा होती है लेकिन कुछ समय बाद जब ढोल पर डंके की आवाज सुनाई देने लगती है तो खबर मिलती है कि चाँद दिखाई दे गया है।
रमजान का महिना खत्म हो जाता है और अगले दिन ईद होती है। ईद के मुबारक मौके पर सभी लोगों के चेहरे पर एक नई चमक आ जाती है। रमजान के महीने में रोजा रखना एक मुसलमान का फर्ज बताया जाता है।
रोजे के दौरान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाने की इजाजत नहीं होती है लेकिन सूर्यास्त के समय पर ही कुछ खाकर रोजे को खोल लिया जाता है। सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच में ही खा पी सकते हैं। जिस दिन चाँद रात होती है उस दिन लोगों की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता है।
भाई चारे का त्यौहार :- ईद हमारे देश का एक पावन पर्व है। जिस तरह से होली मिलन का त्यौहार है उसी तरह से ईद भी भाईचारे का त्यौहार है। ईद की नमाज को पढने के बाद मिलन का कार्यक्रम ईदगाह से ही शुरू हो जाता है। लोग एक-दूसरे के गले लगते हैं और एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं।
यही क्रम दिन भर चलता रहता है। इस मौके पर बिना किसी भेदभाव के लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं और अपने घर पर आने वाले को सिवईयाँ भी खिलाते हैं। हम सब जानते हैं कि हमारे देश में सभी धर्मों को मानने वाले लोग साथ-साथ रहते हैं। ईद और होली जैसे पवित्र त्यौहारों पर वे प्रेमपूर्वक एक-दूसरे के गले लगते हैं।
दोनों ही ईदों का शरीयत के मुताबिक बहुत महत्व होता है। ईद से सामाजिक भाईचारे की भावना बढती है। ईद पर खासतौर पर दूसरे धर्मों के लोग अधिक मुबारक बाद देते हैं। वास्तविक रूप में ईद का पर्व समाज में खुशियाँ फ़ैलाने , पड़ोसियों के सुख में भागीदार बनने और जन-जन के बीच में सौहार्द फ़ैलाने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मेलों का आयोजन :- जिस दिन ईद होती है उस दिन ईदगाह के आस-पास मेले भी लगते हैं। स्त्रियों और बच्चों के लिए वे विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होते हैं। इन मेलों में चीजें बेचने वाले दुकानदार तरह-तरह की चीजों से अपनी दुकानों को सजाते हैं।
इन मेलों में घर-गृहस्थी की भी बहुत सी चीजें मिलती हैं जिनको खरीदने के लिए औरतें साल भर ईद के आने का इंतजार करती हैं। जो बड़े लोग होते हैं वे बच्चों के लिए ही इन मेलों में जाते हैं। मेले में लोग अपनी दुकानों को इस तरह से सजाते हैं जिससे लोग आकर्षित हो जाते हैं।
बच्चे और बहुत से लोग मेले में अपने मनपसन्द सामानों को खरीदने के लिए आते हैं। इन मेलों से सबसे अधिक महिलाएं आकर्षित होती हैं। मेले में बहुत भीड़ होती है सभी लोग अपने-अपने मनपसन्द स्थान पर जाते हैं जिसे जो चाहिए होता है वो उसको खरीदने के लिए उसके मिलने वाले स्थान पर पहुंच जाता है। यहाँ पर सभी की जरूरत की चीजें मिल जाती है और सभी प्रकार की वस्तुएँ मिलती हैं।
उपसंहार :- सभी भारतीय त्यौहार चाहे वो ईद हो या होली , बैसाखी हो या बड़ा दिन ये पूरे समाज के त्यौहार बन जाते हैं और देश के वासियों में एक नई चेतना , एक नई उम्मंग भर देते हैं। लोग अपने जीवन की हर समस्या को भूलकर त्यौहार के हर्ष और उल्लास में पूरी तरह से मग्न हो जाते हैं।
ईद के दिन लोग अपनी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे के साथ गले मिलते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं। इस दिन लोग अपने घर पर आने वाले लोगों को भोजन करवाते हैं चाहे वो उनका मित्र हो , संबंधी हो या फिर शत्रु हो। इससे भाईचारे की भावना बहुत विकसित होती है।