एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) में बारिश, बर्फ, ओलों, कोहरे या ओस आदि शामिल है जिसमें एसिड प्रदूषक विशेष रूप से सल्फरिक और नाइट्रिक एसिड होता है। एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन के कारण होती है, जो वातावरण में पानी के अणुओं के साथ प्रतिक्रिया करके एसिड का उत्पादन करती है।पहली बार \”एसिड रेन\” शब्द 1872 में रॉबर्ट एंगस स्मिथ द्वारा इस्तेमाल में लाया गया था। एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) की समस्या न केवल आबादी और औद्योगिकीकरण में होती वृद्धि के साथ बढ़ी है, बल्कि अब यह और भी अधिक खतरनाक हो गई है। वास्तव में, स्थानीय प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयोग में लाई गई स्मोकास्टेक्स (फैक्ट्री, जहाज, आदि पर लंबी चिमनी) ने क्षेत्रीय वायुमंडलीय परिसंचरण में गैसों को जारी करके एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) के फैलाव को बढ़ावा दिया है।कनाडा, संयुक्त राज्य और स्वीडन, नॉर्वे और जर्मनी के कुछ हिस्सों सहित यूरोप के अधिकांश भागों में एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) होती अक्सर देखी जा सकती है। वर्तमान में इसके अलावा दक्षिण अफ़्रीका और दक्षिण एशिया के इलाकों खासकर श्रीलंका और भारत में बंगलौर, नई दिल्ली, मुम्बई जैसे कुछ दक्षिणी हिस्सों में एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) होती देखी गई है।एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) के प्रकार:एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) के दो प्रकार हैं जिन्हें निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है:गीली एसिड रेन: जब एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) बारिश, बर्फ, कोहरे या धुंध के रूप में जमीन पर गिरती है तो यह वातावरण से एसिड को निकाल कर उन्हें पृथ्वी की सतह पर जमा देती है। उसके बाद यह एसिड भूमि के माध्यम से बहने लगता है जिससे पौधों, जानवरों और जलीय जीवन का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है। नाले से निकलता गन्दा पानी नदियों और नहरों जैसे जल स्रोतों में बह जाता है जिससे बाद में यह समुद्र के पानी में मिल कर जलीय जीवन को प्रभावित करता है।सूखी एसिड रेन: जब अम्लीय प्रदूषक धूल या धुएं मिलकर सूखे कणों के रूप में जमीन पर गिरते हैं तो यह जमीन पर और अन्य सतहों जैसे इमारतों, कारों, घरों, पेड़ और स्मारकों पर चिपक जाते हैं। वातावरण में अम्लीय प्रदूषकों का अधिकांश भाग जमने से फैलता है।एसिड रेन के कारणएसिड रेन (अम्लीय वर्षा) के प्रमुख कारण प्राकृतिक और मानव-संगठित होते है। हालांकि एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) मूल रूप से जीवाश्म ईंधन के दहन के कारण होती है जो वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX) की मात्रा को बढ़ावा देती है।प्राकृतिक स्रोत: एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) के प्राकृतिक स्रोत में मुख्य हैं ज्वालामुखी विस्फोट। ज्वालामुखी बड़ी मात्रा में लावा को उत्सर्जित करता है जो हानिकारक गैसों का उत्पादन करता है जिससे एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) सामान्य मात्रा से अधिक होती है। वनस्पति, जंगल की आग और अन्य जैविक प्रक्रियाओं से जो गैस उत्पन्न होती है उस कारण भी एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) बनती है। डाइमिथाइल सल्फाइड वायुमंडल में मौजूद सल्फर युक्त एक प्रमुख जैविक योगदानकर्ता का एक विशिष्ट उदाहरण है। बिजली गिरने से भी नाइट्रिक ऑक्साइड बनती है जो नाइट्रिक एसिड के उत्पादन के लिए विद्युत गतिविधि के माध्यम से पानी के अणुओं के साथ प्रतिक्रिया करती है जिससे एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) का निर्माण होता है।मानव-संगठित स्रोत: मानव गतिविधियों में सबसे पहले शामिल है कारखानों, बिजली उत्पादन परिसर और ऑटोमोबाइल उद्योगों से निकलती सल्फर और नाइट्रोजन गैस जो रासायनिक गैस का रूप है। इनसे एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) की मात्रा में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा बिजली उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग गैसीय उत्सर्जन का प्रमुख कारण है जो सीधे-सीधे एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) से के होने से जुड़ी है। इन गैसों में मौजूद पानी ऑक्सीजन और अन्य रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करता है ताकि वे सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड आदि जैसे विभिन्न अम्लीय यौगिकों का निर्माण कर सकें। परिणामस्वरूप, उन इलाकों में एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) अत्यधिक मात्रा में होती है।एसिड रेन के हानिकारक प्रभाव:एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) पर्यावरण को निम्नलिखित व्यापक श्रेणियों में प्रभावित करती है: समुद्री जैव विविधता मिट्टी वास्तुकला और अवसंरचना वन और वन्यजीव सार्वजनिक स्वास्थ्यएसिड रेन (अम्लीय वर्षा) से बचने के तरीके:प्राकृतिक कारणों से होने वाली एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) को नहीं रोका जा सकता लेकिन ऐसे तरीके हैं जिनसे हम मानव-निर्मित कारणों से होती एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) से बच सकते है। एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) से जिस तरह बचा जा सकता है वह इस प्रकार हैं:चूना के पत्थर का उपयोग करके जिसे लाईमिंग प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है जिसके द्वारा लोग लोग झीलों, नदियों और अन्य जल स्रोतों को एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) के कारण होने वाले नुकसान की मरम्मत कर सकते हैं। इसके तहत अम्लीय सतह में चूने को डाला जाता है जो पानी की अम्लता को संतुलित करता है। यद्यपि, यह केवल SO2 और NOX के उत्सर्जन की व्यापक चुनौतियों को सुलझाने और मानव स्वास्थ्य के जोखिम के लिए केवल एक अल्पकालिक समाधान प्रदान करता है। फिर भी लाईमिंग प्रक्रिया से समुद्री जीवों के अस्तित्व को पुनर्स्थापित करने में सहायता मिलती है तथा लंबे समय से अम्लीकृत पानी में सुधार भी देखने को मिलता है।लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से SO2 और NOX के उत्सर्जन की ओर योगदान देते हैं। इस चुनौती के निवारण के लिए लोगों को ऊर्जा संरक्षण के बारे में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है जैसे रोशनी या विद्युत उपकरणों का उपयोग न करने पर उन्हें बंद करना, सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना, कुशल बिजली के उपकरणों का इस्तेमाल तथा हाईब्रिड वाहनों को उपयोग में लाना जिनसे कम से कम मात्रा में SO2 और NOX का उत्सर्जन होता हो।जीवाश्म ईंधन के अलावा और कई ऊर्जा स्रोतों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो विद्युत शक्ति उत्पन्न कर सकते है। इनमें पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा और जल ऊर्जा शामिल है। ये ऊर्जा के स्रोत जीवाश्म ईंधन की बजाय प्रभावी विद्युत शक्ति का विकल्प प्रदान कर सकते है। प्राकृतिक गैस, ईंधन कोशिकाएं और बैटरी भी जीवाश्म ईंधन की जगह इस्तेमाल सकते हैं।निष्कर्षजैसा कि आप देख सकते हैं हमारी हवा को साफ करने के कई तरीके हैं लेकिन आबादी और तेजी से औद्योगिकीकरण में वृद्धि के कारण हमें एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) की घटना को कम करने के लिए युद्धपद्धति पर प्रयास करने की आवश्यकता है। पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए पूरी दुनिया को इस दिशा में एक साथ योगदान देने की आवश्यकता है।