विद्यालयों द्वारा अनुशासन सम्भव- अनुशासन की शिक्षा के लिए आज का सबसे उपयोगी स्थान विद्यालय है। बच्चों को विद्यालयों मंे बचपन से ही अनुशासन की शिक्षा दी जाती है।’ पर आज प्रायः विद्यालयों में छात्रों का उद्दण्डता दिखाना, शिक्षकों का अपमान करना, परीक्षा में नकल करना और कराना, बसों तथा रेलों मंे बिना टिकट यात्रा करना यहीं बातें देश के लिए अनुशासनहीनता की एक समस्या बन गई है। उपसंहार- अनुशासन एक ऐसा गुण है जिसकी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यकता पड़ती है। अनुशासनहीन व्यक्ति का जीवन कभी भी सफल नहीं होता जबकि अनुशासित व्यक्ति का रूब ओर सम्मान होता है और व जीवन में सफलता प्राप्त करता है। जिस देश के नागरिक जितने ही अनुशासित होते हैं, वह देश उतना ही प्रगति करता है। अनुशासन क सूत्र हैं- परिश्रम और ईमानदारी। पूरेे राष्ट्र स्तर पर अनुशासन का सूत्र है-एकता। जिन दिनों हमारा देश छोटे-छोटे राज्यों में बंटा था, राज्यों को चलाने वाले राजा हुआ करते थे। उस समय वे एकता में न बंधकर आपस में लड़ा करते थे। परिणामस्वरूप विदेशी आक्रमण होते रहे। देश गुलाम होता रहा। जब हम सभी देशवासी अनुशासित होकर एक स्वर में पुकार उठे-‘अंग्रेजों भारत छोड़ो।‘ तो गुलामी की बेड़ियों से हम आजाद हो गये। आज हमें गर्व है कि हम आजाद देश के नागरिक हैं और हमारा देश विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है।