स्मार्ट सिटी में रहने के लिए देशवासियों को भी हर स्तर पर खुद को स्मार्ट बनाना होगा | इन सब चुनौतियों का सामना कर और सभी बाधाओं को दूर कर स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को पूर्ण करने में भारत पूर्ण:त सक्षम है | यदि देश का प्रत्येक नागरिक, सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दें तो निश्चित ही अगले दो दशकों में देश में सबसे अधिक स्मार्ट सिटीज़ होंगी और भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जाएगा | स्मार्ट सिटीज़ सामान्य शहरों से कई मायनों में अलग है| सामान्य शहरों में रोजगार सृजन की क्षमता में निवेश के अवसर कम होते हैं, जबकि स्मार्ट सिटीज में कारोबार व गुणवत्तापरक जीवन के कारण तीव्र प्रतिस्पर्धा की स्थिति मौजूद रहती है | सामान्य शहरों में शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, सुरक्षा , यातायात आदि कि सुविधाएं अपेक्षाकृत कम रहती है, वही वाईफाई इंटरनेट जैसी आधुनिक तकनीक से लैस स्मार्ट सिटीज़ में विश्वस्तरीय अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, गैस पाइपलाइन, 24 घंटे प्री-पेड बिजली-पानी की सुविधाएं सहित परिवहन, खेलकूद एवं मनोरंजन की भी अति उत्तम व्यवस्था रहती है और पूरा क्षेत्र CCTV की निगरानी में रहता है| सामान्य शहरों के निवासी अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति करने के दौरान पर्यावरण प्रदूषण जैसे संकट में ध्यान नहीं देते, जबकी स्मार्ट सिटीज़ के लोग संतुलित जीवन शैली को अपनाकर प्राइवेट में पर्यावरण को महत्व देते हुए न्यूनतम कचरे का उत्पादन करते हैं|स्मार्ट सिटी योजना इन हिंदी सामान्य शहरवासी बिजली-पानी में अन्य संसाधनों के इस्तेमाल पर अत्यधिक लापरवाही बरतते हैं, जबकि स्मार्ट सिटीज़ के निवासी बिजली-पानी की बर्बादी पर ध्यान देने के साथ ही साथ अतिरिक्त संसाधनों पर निवेश करने से पहले यह भी देखते हैं कि पहले से उपलब्ध चीजों को कैसे बेहतर उपयोग किया जा सके| स्मार्ट सिटीज की परिवहन प्रणाली भी सामान्य शहरों से काफी अच्छी व सुविधाजनक होती है| सामान्य शहरों में अधिक आबादी और दिनों-दिन वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण वायु प्रदूषण जैसी समस्याओं के साथ-साथ ट्रैफ़िक जाम की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है, जबकि स्मार्ट सिटीज़ में ऐसी समस्या नहीं होती| सामान्य शहरों में जहां-तहां झुग्गी झोपड़ी देखी जा सकती है, वही स्मार्ट सिटीज़ इनसे पूरी मुक्त होती है| इस परियोजना में निवेश को लेकर कई देशों ने रुचि भी दिखाई है ; जैसे जापान वाराणसी को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करना चाहता है, वही कतर के प्रिंस डॉ शेख हमद बिन नासिर अल थानी ने दिल्ली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 100 अरब रुपए निवेश करने की योजना बनाई है| डॉ शेख की कंपनी, जिनके पार्टनर दिल्ली के मितेश शर्मा भी हैं, देश में स्मार्ट शहरों के निर्माण हेतु एक लाख करोड रुपए निवेश करेगी| भौतिक बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवाएं और प्रशासन, यह स्मार्ट सिटी के तीन आधारभूत स्तंभ माने जाते हैं| स्मार्ट सिटीवासियों की छोटी-बड़ी सभी आवश्यकता को समुचित रुप से पूर्ण करने के लिए जन-केंद्रित इन तीन स्तंभों का होना बहुत आवश्यक है, किंतु इसके साथ-साथ स्मार्ट सिटीज में मांग प्रबंधन, वित्तीय टिकाऊपन, ऊर्जा कुशलता, सूचनाओं के आदान प्रदान की प्रभावी व्यवस्था सहित न्यूनतम कचरा उत्पादन जैसी विशेषताओं का होना भी आवश्यक है| देश में बड़ी संख्या में स्मार्ट सिटी से स्थापित करने से निसंदेह भारत को विकसित देशों की ओर अग्रसर होने में मदद मिलेगी और देश में नए सिरे से रोजगार के अवसर भी खुलेंगे, पर हमारे देश में इस परियोजनाओं को मुख्य रूप देने में कई चुनौतियां भी हैं, जिनका सामना किए बिना सपनों के शहर बसाना आसान नहीं है| निर्माण से जुड़े कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारत जैसे देश में स्मार्ट सिटीज हेतु कानून में परिवर्तन के साथ साथ तकनीकी संबंधी सभी क्षेत्रों में भी काफी परिवर्तन व सुधार लाने की आवश्यकता है | इतना ही नहीं ऊर्जा प्रबंधन, कचरा प्रबंधन जैसे विषयों पर भी गंभीरतापूर्वक कार्य करना आवश्यक होगा| इंटरनेट के माध्यम से की जाने वाली सूचनाओं के आदान प्रदान का दुरूपयोग ना हो ऐसी व्यवस्था बनानी होगी|