प्राचीन भारतीय इतिहास : 17 – महाजनपद
प्राचीन भारत में अस्तित्व में रही विशाल राज्यों को महाजनपद कहा जाता है। इनका उदय उत्तर वैदिक काल में हुआ। जैन तथा बौद्ध ग्रंथों से इनकी जानकारी मिलती है। इस दौरान विशाल संगठित राज्यों का उदय हुआ। इस काल में बौद्ध और जैन धर्मों की स्थापना हुई। इन महाजनपदों की संख्या 16 थी। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु और जैन ग्रन्थ भगवती सूत्र में इसका वर्णन मिलता है।
यह जनपद वर्तमान अफ़ग़ानिस्तान से लेकर बिहार तक और हिन्दुकुश से लेकर गोदावरी नदी तक फैले हुए थे बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु और जैन ग्रन्थ भगवती सूत्र में मिलता है। आरंभिक जैन और बौद्ध धर्म की पुस्तकों में महाजनपदों का उल्लेख मिलता है बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु और जैन ग्रन्थ भगवती सूत्र में मिलता है। हालांकि अलग-अलग ग्रंथों में इन राज्यों का नाम अलग-अलग दिया गया है। 16 महाजनपद और उनकी राजधानियां निम्नलिखित हैं:
महाजनपद व उनकी राजधानियां
| महाजनपद | राजधानी | 
| मगध | राजगृह | 
| अवन्ती | उज्जयिनी/ महिष्मति | 
| वज्जी | वैशाली | 
| कोसल | श्रावस्ती | 
| काशी | वाराणसी | 
| अंग | चंपा | 
| मल्ला | कुशिनारा | 
| चेदी | सोथिवती | 
| वत्स | कोशाम्बी | 
| कुरु | हस्तिनापुर | 
| मतस्य | विराटनगर | 
| पंचाल | अहिछेत्र/काम्पिल्य | 
| सूरसेन | मथुरा | 
| गंधार | तक्षशिला | 
| कम्बोज | राजपुरा | 
| अश्मक | पोतन |